बांग्लादेश में मारे गए हिंदुओं के लिए श्री पंच दश नाम जूना अखाड़े में की गई शांति पाठ और पूजा-अर्चना

Haridwar: श्री पंच दश नाम जूना अखाड़े में बांग्लादेश में मारे गए हिंदुओं के लिए शांति पाठ और पूजा अर्चना की गई। इस कार्यक्रम में जूना अखाड़े के वरिष्ठ पधाधिकारी गण शामिल हुए। विगत दिनों पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुए। भीषण दंगों जिसमें सैकड़ो हिंदुओं की जघन्य हत्या की गई व हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई, उसके लिए जूना अखाड़े में नगर की अधिष्ठात्री देवी महामाया देवी तथा नगर रक्षक आनंद भैरव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई तथा शांति यज्ञ का आयोजन किया गया।

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के संयोजन में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर जूना पीठाधीश्वर श्री महंत अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने इस अवसर पर आयोजित शांति यज्ञ में पवित्र मंत्र उच्चारण के साथ नागा संयासियों की उपस्थिति में आहुतियां डाली तथा मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार और नरसंहार का हम प्रतिकार करते हैं तथा बांग्लादेश सरकार से अनुरोध करते हैं कि हिंदुओं पर अत्याचार ना हो तथा उनका संवर्धन विकास हो इसकी अविलंब व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा मृतकों की आत्मा की शांति ,बांग्लादेश सरकार को सद्बुद्धि तथा राष्ट्र के विकास व उन्नति की कामना के साथ इस शांति यज्ञ तथा विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया गया है। श्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार का समस्त अखाड़े व सनातन धर्मी  घोर प्रतिकार करते हैं तथा भारत सरकार से व बांग्लादेश सरकार से मांग करते हैं कि वह हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार व  नरसंहार पर गंभीर कदम उठाए। उन्होंने भारत सरकार से  इस पर नियंत्रण करने के लिए कूटनीतिक व कठोर राजनीतिक कदम उठाने  का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा अखाड़े की अन्य सिद्ध पीठों पर भी शांति यज्ञ व विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। इस अवसर पर जूना अखाड़े के राष्ट्रीय मंत्री श्री महंत मोहन भारती, श्री महंत महेश पुरी ,श्री महंत ओम भारती, श्री महंत शैलेंद्र गिरी, महामंडलेश्वर ऋषि भारती ,श्री महंत सुरेशानंद सरस्वती, महंत महाकाल गिरी, रतन गिरी, ग्वालापुरी ,आकाश गिरी, अभिमन्यु पुरी, सच्चिदानंद गिरी, महंत विद्यानंद गिरी, अमृतानंद सरस्वती, सुरेशानंद, महामायानंद सहित भारी संख्या में साधु संत व श्रद्धालु उपस्थित थे।

More Articles Like This

Exit mobile version