इंडिगो फ्लाइट से पटना लाया जा रहा शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर, जानें कहा होगा अंतिम संस्कार

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Sharda Sinha Antim Sanskar: बीमारी से लगातार लड़ने के बाद देश भर में चर्चित बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार (05 नवंबर) को निधन हो गया. उन्होंने मंगलवार की रात को 9 बजकर 20 मिनट पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली. शारदा सिन्हा का लंबे समय से इलाज चल रहा था, लेकिन उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और अंततः उनका निधन हो गया. उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने बताया, मां की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार पटना के उसी घाट पर हो, जहां उनके पिता का अंतिम संस्कार हुआ था. इसी के चलते आज (बुधवार) को सुबह 9:40 बजे की इंडिगो फ्लाइट से उनका पार्थिव शरीर पटना लाया जा रहा है. दोपहर 12 बजे के बाद उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार पटना के पूर्वी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. यह संस्कार 7 नवंबर को संभावित है. उनके निधन से संगीत प्रेमियों और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है. पीएम मोदी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य कई वरिष्ठ नेताओं ने शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया है.

छठ पूजा के समय मां हमें छोड़ गईं: अंशुमान सिन्हा

शारदा सिन्हा के निधन पर उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने कहा, “परिजनों के लिए तो ये दुख की घड़ी है लेकिन वह मां सबकी थीं. वह सबके करीब थीं जितना दुख मुझे हो रहा है उतना सबको हो रहा होगा…छठ पूजा के समय हमें वह छोड़कर चली गईं…वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी.”

‘सुन छठी माई’ जैसे प्रसिद्ध गीत गाए थे

बिहार में बहुत-से लोग ये बात कहते हैं कि उनके यहां छठ पूजा शारदा सिन्हा के गीतों के बिना अधूरी मानी जाती है. शारदा सिन्हा ने छठ महापर्व के लिए ‘केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके’ और ‘सुनअ छठी माई’ जैसे कई प्रसिद्ध छठ गीत गाए. इन गीतों के बिना छठ पर्व मानों अधूरा सा लगता है. उनके गाए गीत देश क्या, सात समुंदर पार अमेरिका तक में भी सुने जाते हैं. मंगलवार की रात शारदा सिन्हा की आवाज तब खामोश हो गई, जब छठ महापर्व का पहला दिन था.

सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था जन्म

शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था. बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वाली शारदा ने अपनी मेहनत और संगीत के प्रति जुनून से खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया. शारदा सिन्हा विशेष रूप से छठ पूजा के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई. उन्होंने न केवल मैथिली, बल्कि भोजपुरी, मगही और हिंदी संगीत में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा.

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