Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दो दोषियों की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 8 जनवरी के फैसले को चुनौती दी गई थी. राधेश्याम भगवान दास और राजुभाई बाबूलाल ने याचिका दायर कर मांग की थी कि जब तक उनकी रिहाई की नई मांग पर गुजरात सरकार फैसला लेती है, तब तक उन्हें अंतरिम ज़मानत दे दी जाए. एससी ने याचिका के औचित्य पर सवाल उठाते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को दिए फैसले में बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करते हुए उन्हें सरेंडर करने को कहा था.
जनवरी, 2024 में आया था एससी का अहम फैसला
बता दें, दोषी राधेश्याम भगवान दास और राजूभाई बाबूलाल सोनी ने इससे पहले भी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी रिहाई पर गुजरात या महाराष्ट्र किस राज्य की सरकार की रिहाई की नीति लागू होगी? इसपर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के ही दो अलग-अलग बेंच के फैसले में विरोधाभास है. बता दें, गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में एससी ने 8 जनवरी 2024 को अहम फैसला सुनाया था. जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं, एससी ने अपने फैसले में दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने को कहा था.
क्या है बिलकिस बानो केस का पूरा मामला?
ज्ञात हो, साल 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे. इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था. भीड़ ने मार्च 2002 में बिलकिस बानो के साथ रेप किया था, तब वह 5 महीने की गर्भवती थी. इतना ही नही, भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे. बिलकिस बानो के गोद मे 3 साल की एक बेटी भी थी.
इस दौरान दंगाइयों ने उनकी तीन वर्ष की बेटी को पटक-पटककर मार डाला. साल 2004 में गैंगरेप के आरोपियों को अरेस्ट किया गया. बाद में केस को अहमदाबाद से बॉम्बे ट्रांसफर कर दिया गया. सबूतों के साथ बिलकिस बानो ने संभावित छेड़छाड़ और गवाहों का मुद्दा उठाया था. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जनवरी 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2017 में इस मामले में 11 दोषियों की उम्रकैद को सजा बरकरार रखी. सभी को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था. गलभग नौ साल बाद सभी को गोधरा के उप जेल भेजा गया था.
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