त्योहार पर भी सैनिक परिवार से दूर रहकर देश की सुरक्षा करते हैं. पत्नियों को अकेले ही घर की सभी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है. सही मायने देश की सुरक्षा सैनिक ही नहीं सैनिक का परिवार भी करता है. सीमा पर सैनिक तैनात हैं. हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं. उक्त बातें वर्चुअल माध्यम से कौशांबी के होटल में राष्ट्रीय सैनिक संस्था के 17वां स्थापना दिवस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहीं. उन्होंने कहा, 21 दिसंबर एक अन्य कारण से विशेष है.
सैनिक देश की सुरक्षा का होता है प्रहरी
यूनाइटेड नेशन ने भारत के साथ मिलकर 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया है. मुझे इस बात की खुशी है कि सैनिक संस्था ने अपने अधिवेशन के लिए भी आज का ही दिन चुना. सैनिक देश की सुरक्षा का प्रहरी होता है, जो अपने जीवन को संकट में डालकर देश की अखंडता की सुरक्षा करता है. रक्षा मंत्री ने आगे कहा, समाज सेवा व राष्ट्रीय सेवा दो अलग-अलग चीजें हैं. बार्डर पर रहकर भी सैनिक समाज की सेवा करता है.
जब वह घर आता है तो तब भी वह राष्ट्र के लिए जीता है. उसके समाज में जीने और रहने का तरीका लोगों को प्रेरित करता है. समाज को सैनिक व बलिदानियों का सम्मान करना चाहिए.