देश में रबी की फसलों जैसे गेहूं, दालें, तिलहन और मोटे अनाज की बुवाई जोर पकड़ रही है. इसकी बड़ी वजह है फसलों की कीमतें बढ़ना और अच्छी मिट्टी की नमी, जो इस बार मानसून की अधिक बारिश के कारण हुई है. कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, रबी फसलों की बुवाई का एरिया 4.12 प्रतिशत बढ़कर 42.88 मिलियन हेक्टेयर हो गया है, जिसमें अब तक 68 प्रतिशत बुवाई पूरी हो चुकी है.
गेहूं और दाल की बुवाई में वृद्धि
गेहूं रबी सीजन की मुख्य फसल है. इसे अब तक 20.03 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया है. यह पिछले वर्ष की तुलना में 6.5 प्रतिशत अधिक है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक, गेहूं की लेट वैरायटी की बुवाई जनवरी के पहले सप्ताह तक जारी रहेगी. दालों की बुवाई का क्षेत्र 3.6 प्रतिशत बढ़कर 10.89 मिलियन हेक्टेयर हो गया है. इसमें चना, मसूर और उड़द जैसी दालें शामिल हैं. दालों का कुल बुवाई क्षेत्र इस बार 14.04 मिलियन हेक्टेयर को पार कर सकता है. इसकी वजह किसानों को पिछले वर्ष दालों की बेहतर कीमतें मिलना है.
तिलहनों की बुवाई में गिरावट
तिलहन फसलों का कुल क्षेत्रफल 4.7 प्रतिशत घटकर 8.04 मिलियन हेक्टेयर रह गया है. प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुवाई में 5.25 प्रतिशत की कमी आई है. अब तक यह फसल 7.58 मिलियन हेक्टेयर में बोई गई है, जबकि सामान्य बुवाई क्षेत्र 8.69 मिलियन हेक्टेयर है. इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश ने बड़े जलाशयों को भर दिया है और भूजल स्तर को भी बेहतर किया है. इससे मिट्टी की नमी अच्छी बनी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि ला नीना के कारण सर्दियों का मौसम लंबा हो सकता है, जो फसलों के लिए फायदेमंद होगा. यह देर से बुवाई के असर को भी कम कर सकता है.