Lok Sabha Speaker Om Birla: ओम बिरला एक बार फिर से लोकसभा अध्यक्ष चुने गए हैं. ध्वनि मत से उनको लोकसभा अध्यक्ष चुना गया. बता दें, उनके नाम का प्रस्ताव पीएम मोदी ने सदन में रखा था. चुनाव के दौरान ध्वनि मत से ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुन लिया गया. स्पीकर ओम बिरला ने आज अपने पहले ही संबोधन में सदन को इमरजेंसी की याद दिलाई. विपक्षी दलों ने इस पर जोरदार हंगामा किया. विपक्ष के विरोध के बीच ओम बिरला ने सदन में आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा, आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है. तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया और संविधान पर हमला किया.
स्पीकर ओम बिरला ने की इमरजेंसी लगाने की कड़ी निंदा
स्पीकर ओम बिरला ने कहा, ये सदन 1975 में देश में इमरजेंसी लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है. इसके साथ ही हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं. जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया. लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा, इमरजेंसी ने भारत के कितने ही नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था. कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई थी. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में हम दो मिनट का मौन रखते हैं.
Lok Sabha Speaker Om Birla says "This House strongly condemns the decision to impose Emergency in 1975. Along with this, we appreciate the determination of all those people who opposed the Emergency, fought and fulfilled the responsibility of protecting the democracy of India.… pic.twitter.com/kCWDPQrKs2
— ANI (@ANI) June 26, 2024
बिरला ने कहा, 1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था. इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी. इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है. हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए. स्पीकर आम बिरला ने कहा, 1975 से 1977 का वो काला कालखंड अपने आप में एक ऐसा कालखंड है. जो हमें संविधान के सिद्धांतों, संघीय ढांचे और न्यायिक स्वतंत्रता के महत्व की याद दिलाता है.
ये कालखंड हमें याद दिलाता है कि कैसे उस समय इन सभी पर हमला किया गया और क्यों इनकी रक्षा आवश्यक है. उनहोंने कहा, इमरजेंसी के दौरान लोगों को कांग्रेस सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी का, शहरों में अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई मनमानी का और सरकार की कुनीतियों का प्रहार झेलना पड़ा. ये सदन उन सभी लोगों के प्रति संवेदना जताना चाहता है.
यह भी पढ़े: Patiala Crime: जमीनी विवाद में तड़तड़ाई गोलियां, पिता-पुत्र सहित तीन की मौत