देश के सबसे अमीर किसान की बेटी Apoorva Tripathi ने जीता ‘एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड- 2023’

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Chhatisgarh News: साल 2023 ने जाते-जाते छत्तीसगढ़ की झोली में एक और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवार्ड डाल दिया है. छत्तीसगढ़ और बस्तर के लिए यह पल बेहद गौरव के थे. बीते 21 दिसंबर को राजधानी दिल्ली के हालीडे इन के सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में छत्तीसगढ़ बस्तर की बेटी अपूर्वा त्रिपाठी को भारत सरकार के कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा कृषि क्षेत्र के देश के सर्वोच्च सम्मान “एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड-2023” से सम्मानित किया गया.

इस कार्यक्रम में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और केरल के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम, ओपी धनकड़, इंडियन चैम्बर ऑफ फुड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन एमजे खान, ममता जैन और विभिन्न केंद्रीय और राज्य मंत्रियों समेत प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, कृषि विशेषज्ञों तथा बड़ी संख्या में प्रगतिशील कृषकों की सहभागिता रही.
एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड– देश के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस के नेतृत्व में 21 विशेषज्ञ सदस्यों की जूरी द्वारा ‘एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड’ हेतु उन व्यक्तियों चयन करता है, जिन्होंने देश में कृषि के क्षेत्र में असाधारण नेतृत्व और सफल नवाचार का प्रदर्शन किया है और क्षेत्र की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. यह अवार्ड विगत 14 वर्षों से दिए जा रहे हैं.
कौन हैं अपूर्वा त्रिपाठी और क्यों मिला इन्हें देश का सर्वोच्च अवार्ड
देश के सबसे पिछड़े आदिवासी क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर कोंडागांव की अपूर्वा त्रिपाठी देश में एक युवा रोल-मॉडल तथा कृषि में नई प्रेरणा की किरण बनकर उभरी हैं. शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ, देश के शीर्ष संस्थानों से बौद्धिक संपदा कानून और बिजनेस कानून में बीए, एलएलबी और ‘डबल-एलएलएम’ की डिग्री हासिल करने वाली अपूर्वा वर्तमान में बस्तर, छत्तीसगढ़ में जनजातीय महिलाओं के पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं और कृषि प्रथाओं पर पीएचडी कर रही हैं.
हालांकि, बेरोजगारी के वर्तमान दौर में यह विश्वास करना कठिन लगता है, लेकिन यह सच है कि अपूर्वा ने बस्तर में अपनी पैतृक खेती की जड़ों से फिर से जुड़ने के लिए 25 लाख रुपये प्रति वर्ष की आकर्षक नौकरी की पेशकश को ठुकरा दिया और बस्तर के ‘मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप’ में शामिल होकर इस समूह की हजारों आदिवासी महिलाओं द्वारा जैविक रूप से उगाए गए मसालों, बाजरा और जड़ी-बूटियों की खेती, खेती का अंतरराष्ट्रीय जैविक प्रमाणीकरण, प्राथमिक प्रसंस्करण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग करके तथा तैयार माल के देश तथा विदेशी बाजारों में विक्रय में जुटी हैं. अपूर्वा ने अपने इन अथक प्रयासों से बस्तर की आदिवासी महिलाओं के उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहुंचाया और ‘एमडी बोटैनिकल्स’ को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. इनकी लगन और मेहनत के दम‌‌ पर आज बस्तर के अंतराष्ट्रीय प्रमाणित जैविक और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता-प्रमाणित उत्पाद अब अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हैं, जिसका सीधा लाभ बस्तर के आदिवासी परिवारों को मिल रहा है.
एक कानून विशेषज्ञ से एक सफल किसान तक अपूर्वा की यात्रा ने उन्हें देश में एक आदर्श और युवा आइकॉन एवं ‘रोल-मॉडल’ बना दिया है. विशेष सुखद संयोग यह है कि ये आज से 13 साल पहले देश का पहला ‘एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड’ हासिल करने वाले ‘कृषक-वैज्ञानिक: डॉ. राजाराम त्रिपाठी की बेटी हैं, जो कि बस्तर कोंडागांव स्थित “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर” में कृषि में नित नूतन नवाचारों और टिकाऊ व उच्च लाभदायक कृषि पद्धतियों के विकास के लिए देश दुनिया में जाने जाते हैं. अपनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए देश के कृषि मंत्री के हाथों कृषि क्षेत्र का देश का सर्वोच्च पुरस्कार हासिल करने वाली इस युवा बिटिया की सफलता से उनके परिवार मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के सभी साथी तथा कोंडागांव बस्तर के लोग ही नहीं, बल्कि पूरा प्रदेश गदगद है.
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