Central Armed Police Forces: केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ‘सीएपीएफ’ के 11 लाख जवानों को ‘पुरानी पेंशन व्यवस्था’ में शामिल कराने की जंग अभी जारी है. कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेज मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा है. वहीं, एसोसिएशन के चेयरमैन और पूर्व एडीजी एचआर सिंह और महासचिव रणबीर सिंह समेत कई पदाधिकारियों का कहना है कि सीएपीएफ में ओपीएस की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.
दरअसल, इस वर्ष 11 जनवरी को ‘सीएपीएफ’ में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फरवरी 2024 तक स्थगन आदेश ले लिया था. अब यदि प्रधानमंत्री कार्यालय से बुलावा आता है, तो उनके समक्ष ‘केंद्रीय अर्धसैनिक बल’ के जवानों की व्यथा रखी जाएगी.
पुरानी पेंशन के दायरे में सभी अधिकारी
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘भारत संघ के सशस्त्र बल’ हैं. ऐसे में उन्हें ‘पुरानी पेंशन’ का लाभ दिया जाना चाहिए. इन बलों में चाहें कोई आज भर्ती हुआ हो, पहले कभी भर्ती हुआ हो या आने वाले समय में भर्ती होगा, सभी जवान और अधिकारी, पुरानी पेंशन के दायरे में आएंगे. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि ‘सीएपीएफ’ में आठ सप्ताह के भीतर पुरानी पेंशन लागू कर दी जाए. तब तक केंद्र सरकार, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट में तो नहीं गई, लेकिन अदालत से 12 सप्ताह का समय मांग लिया.
चुनावों में निष्पक्ष भूमिका निभाते है जवान
फेडरेशन के महासचिव रणबीर सिंह का कहना है कि सरकारें भूल रही हैं कि निर्वाचन आयोग के आदेश के मुताबिक, पोलिंग बूथ पर केवल केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को ही तैनात किया जाता है. ये जवान, चुनावों में बराबर निष्पक्ष भूमिका निभाते हुए आ रहें हैं. देश के सामने ये गंभीर सवाल है कि जब एक सिपाही 40 साल तक देश की सेवा करने के बाद रिटायर होता है, तो बिना पेंशन के उसका गुजर बसर कैसे होगा.
ये भी पढ़े:-Indian Navy: चीन-पाकिस्तान कर रहा अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, भारत पर मंडरा रहा खतरा