SC: सुप्रीम कोर्ट मुफ्त की योजनाओं के ऐलान से नाराज, कहा- इससे काम नहीं करेंगे लोग

Ved Prakash Sharma
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Supreme Court: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त के वादे करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इससे लोगों की काम करने की इच्छा नहीं होगी, क्योंकि उन्हें राशन और पैसे मुफ्त मिलते रहेंगे. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमें बेघर लोगों को शहरी इलाकों में आश्रय स्थल मुहैया कराने की मांग की गई थी.

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘दुर्भाग्य से, मुफ्त वाली योजनाओं के चलते लोग काम नहीं करना चाहते. उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है और उन्हें बिना कोई काम किए पैसे मिल रहे हैं.’ पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘आपकी बेघर लोगों की चिंता किए जाने की हम तारीफ करते हैं, लेकिन क्या ये अच्छा नहीं होगा कि इन लोगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जाए और देश के विकास में इन्हें भी योगदान देने का मौका मिले.’

केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार शहरी इलाकों में गरीबी को मिटाने के लिए प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रही है. जिसमें शहरी इलाकों में बेघर लोगों को आश्रय देने का भी प्रावधान होगा. इस पर पीठ ने उन्हें केंद्र सरकार से पूछकर यह स्पष्ट करने को कहा कि कितने दिन में इस योजना को लागू की जाएगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी.

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के संबंध में लाए गए कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की तारीख तय कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बताया कि वे इस मामले पर 19 फरवरी को सुनवाई करेंगे. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता एनजीओ की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण को यह जानकारी दी. अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपील की कि याचिका पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए, क्योंकि जल्द ही नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होनी है. कानून को चुनौती देने वाली याचिका एनजीओ एडीआर ने लगाई है.

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