Pakistan: एक बार फिर संसद में पाकिस्तान में संविधान संशोधन विधेयक पेश नहीं किया जा सका. नवाज सरकार को सरकार में सहयोगी मौलाना फजल-उर-रहमान के राजनीतिक दल जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम का समर्थन न मिलने से बिल पेश करने से पीछे हटना पड़ा. हालांकि, बिल में क्या संशोधन किया गया है, इसका सरकार द्वारा खुलासा नहीं किया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि बिल के जरिए सरकार जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल तय करने की योजना बना रही है.
सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सीनेटर इरफान सिद्दीकी ने बताया कि संशोधन विधेयक संसद में पेश नहीं किया जाएगा. जब हम विधेयक को पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार होंगे, तब इसे सत्र में लाया जाएगा. बिल पेश करने में देरी के सवाल पर इरफान ने कहा कि बिल एक या दो सप्ताह के अंदर पेश किए जाने की संभावना है.
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान का समर्थन न मिलने के चलते सरकार को संसद में संशोधन विधेयक पेश करने में देरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा. दरअसल, संशोधन विधेयक पारित करने के लिए सरकार को संसद में 224 और सीनेट में 64 वोटों की जरूरत है, जबकि संसद में गठबंधन की ताकत 213 और सीनेट में 52 है. आठ संसद सदस्यों और पांच सीनेटरों के साथ जेयूआई-एफ प्रमुख भूमिका में है. सरकार का दावा है कि अगर रहमान ने संशोधन का समर्थन किया, तो इसे दोनों सदनों में पारित कर दिया जाएगा, क्योंकि सरकार ने पहले ही छोटे दलों का समर्थन जीत लिया है.
सिद्दीकी ने कहा कि प्रस्तावित कानूनों में से कुछ पर रहमान का मतभेद नहीं है, लेकिन उन्होंने बिल की समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया. सूत्रों की माने तो जेयूआई-एफ प्रमुख संशोधनों का समर्थन करते हैं, लेकिन पूरे बिल का नहीं. वह चाहते हैं कि बिल में संशोधनों पर आम सहमति बनाने के लिए पीटीआई को भी बोर्ड में लिया जाना चाहिए.