Success Story: ये कहानी है ‘आपदा में अवसर’ की. दरअसल, कोरोना महामारी के समय हमारे देश में लाखों लोग बेरोजगार हो गए. कई लोगों की नौकरियां चली गईं. इसका असर आज भी कुछ परिवारों पर देखने को मिलता है. हालांकि, उसी में कुछ ऐसे लोग भी रहे जिन्होंने इस आपदा को अवसर में बदल दिया है और वो आज के समय में या तो बड़े बिजनेसमैन हो गए हैं या फिर कहीं ना कहीं से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं शशिभूषण तिवारी जिनके जज्बा और कामयाबी को कोरोना जैसी महामारी भी नहीं रोक सकी.
बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले के शशिभूषण तिवारी ने 1200 महीने की नौकरी से अपने करियर की शुरूआत की. लेकिन आज उनका सालाना टर्नओवर छह करोड़ रूपये तक पहुंच गया है और करीब 150 लोग उनके यहां काम करते हैं.
जानिए छोटी सी नौकरी से कैसे बने ‘मशरूम मैन’
शशि भूषण तिवारी ‘मशरूम मैन’ के नाम से जाने जाते हैं. इस सफलता को पाने के लिए शशि भूषण तिवारी ने दिन-रात मेहनत की है. अपने संघर्ष की कहानी सुनाते हुए शशि भूषण तिवारी कई बार भावुक हो जाते हैं. हालांकि, उनकी आंखों में इस बात की चमक होती है कि आज वह अपने संघर्ष को सफल कर चुके हैं. जो उन्होंने 24 साल पहले सपना देखा था उस सपने को साकार कर चुके हैं. 1996 में शशि भूषण तिवारी की शादी हो चुकी थी और वो दिल्ली में छोटी सी नौकरी कर गुजर बसर कर रहे थे. ऐसे संघर्ष के समय उनकी पत्नी ने बहुत साथ दिया.
ऐसे शुरू की मशरूम की खेती
कोरोना महामारी के समय में बड़ी संख्या में लोग अपने गांव की तरफ रूख किए. इसी क्रम में मुजफ्फरपुर के शशि भूषण ने भी अपने गांव का रूख किया. लेकिन इनका इरादा न सिर्फ गांव जाने का था बल्कि, कुछ अलग करने था. दिल्ली और हरियाणा में काम के दौरान उन्होंने मशरूम के बारे में काफी कुछ सुन रखा था. इसलिए उन्होंने मशरूम का कारोबार शुरू किया. शुरू में आसपास के लोगों ने बहुत ताना मारा. कोई कहता था कि यह कुकरमुत्ता है तो, कोई कहता था यह गोबर का छाता है. इससे शशि भूषण को ठेस जरूर पहुंची लेकिन उन्होंने लोगों की बातों पर ध्यान ना देकर अपने काम पर फोकस किया.
कड़ी चुनौतियों के बाद मिली सफलता
शशि भूषण तिवारी ने 6 कमरे से अपना फार्म हाउस शुरू किया. धीरे-धीरे बढ़कर आज 20 कमरे का फार्म हाउस है. पहले बहुत सारी चुनौतियां थी. कभी ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत थी तो, कभी हड़ताल हो जाता तो इससे मुश्किल होती थी. मशरूम के विशेषज्ञों की सलाह पर उन्होंने प्रोसेसिंग यूनिट लगाया. आज प्रतिदिन 2200 किलो तक मशरूम का उत्पादन हो जाता है. महीने की बिक्री 60 लाख रूपये तक हो जाती है. दिल्ली में काम करने के दौरान जो उन्होंने ट्रेनिंग ली उसका आज की कामयाबी के पीछे बड़ा योगदान है.
शशि भूषण तिवारी की बेटी आज के दिन डॉक्टर है और बेटा उनके काम को आगे बढ़ाने में सहायता देता है. उनसे प्रेरणा लेकर देश के कई इलाकों के किसान ट्रेनिंग लेने आते हैं.
रिपोर्ट- आशुतोष कुमार भारत एक्सप्रेस मुजफ्फरपुर