Ayodhya News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा बृहस्पतिवार को निकाली गई. यात्रा तपस्वी छावनी, दीनबंधु, जानकी महल, लता चौक होते हुए संत तुलसीदास घाट पहुंची, जहां जल समाधि दी गई.
श्रद्धांजलु देने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़
इससे पहले आचार्य सत्येंद्र दास को अंतिम विदाई देने के लिए नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्त, राम मंदिर के ट्रस्टी महंत दिनेंद्र दास, महंत राघवेश दास वेदांती, कांग्रेस नेता राजेंद्र प्रताप सिंह, आचार्य नारायण मिश्र, बबलू खान सहित सैकड़ों की संख्या में संत एवं श्रद्धालु उनके आश्रम पर पहुंचे. संतों की ओर से उन्हें पद्म भूषण दिए जाने की मांग उठाई गई.
पीजीआई में इलाज के दौरान हुआ था निधन
मालूम हो कि बीते बुधवार को आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ के पीजीआई में उपचार के दौरान निधन हो गया था. इसके बाद अंतिम दर्शन के लिए उनका शव उनके आवास पर रखा गया था, जहां देर रात तक उन्हें श्रद्धांजलि देने का सिलसिला चलता रहा.
34 वर्ष तक रामलला की सेवा की
आपको बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास ढांचा विध्वंस से राम मंदिर निर्माण तक के साक्षी रहे हैं. रामलला की 34 साल सेवा की. आचार्य सत्येंद्र दास के साथ सहायक पुजारी के रूप में कार्य करने वाले प्रेमचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि बाबरी विध्वंस के समय रामलला सहित चारों भाइयों के विग्रह बचाने के लिए आचार्य उन्हें गोद में लेकर गए थे.
वह टेंट में रामलला के दुर्दिन देखकर रोते थे.
करीब चार साल तक अस्थायी मंदिर में विराजे रामलला की सेवा मुख्य पुजारी के रूप में की. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय भी उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलके थे. स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते उनके मंदिर आने-जाने पर कोई शर्त लागू नहीं थी. आचार्य सत्येंद्र दास ने वर्ष 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री हासिल की थी.
1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक शिक्षक की नौकरी मिली. रामलला की पूजा के लिए उनका चयन 1992 में बाबरी विध्वंस के नौ माह पहले हुआ था. उनकी उम्र 87 हो चुकी थी, लेकिन रामलला के प्रति समर्पण व सेवा भाव को देखते हुए उनके स्थान पर अन्य मुख्य पुजारी का चयन नहीं हुआ.