आज विभिन्न अखबारों में छपी बांग्लादेश की स्थिति की खबरें पढ़कर मन द्रवित है. बांग्लादेश में फिर से इस्कॉन से जुड़े 2 और संतों की गिरफ्तारी, एक संत के लापता होने और मंदिरों के तोड़े जाने की खबरें अत्यंत दुखद, पीड़ादायक और चिंताजनक हैं. बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यक इस विपरीत परिस्थित में सर्वाधिक समर्थन और सम्बल की आशा भारत से ही करते हैं. उक्त बातें बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदूओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर चिंता जाहिर करते हुए भाजपा के लोकप्रिय नेता एवं सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह (Dr. Rajeshwar Singh) ने कही.
डॉ. राजेश्वर सिंह ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए आगे लिखा, बांग्लादेश के संबंध में भारत के राजनीतिक दलों की चुप्पी, अल्पसंख्यक हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा का मौन समर्थन है. दुर्भाग्य की पराकाष्ठा है कि स्वयं को यदुवंशी, कृष्ण वंशी कहने वाले समाजवादियों ने भी बांग्लादेशी हिंदुओं या कृष्ण भक्त इस्कॉन के संतों की गिरफ्तारी पर संवेदना का एक शब्द नहीं व्यक्त किया. समाजवादी पार्टी, जो कभी अपने आप को सामाजिक न्याय की पक्षधर बताती थी, अब सत्ता भक्ति और तुष्टिकरण के चरम तक पहुंच चुकी है. प्रभु श्री कृष्ण के वंशजों और उनके भक्तों के अधिकारों को नजरअंदाज करना, सिर्फ वोटों के खातिर, बहुत ही शर्मनाक है.
बांगलादेश की अस्थायी सरकार द्वारा शांति प्रिय और सांस्कृतिक संगठनों जैसे ISKCON को निशाना बनाना और इसके पुजारियों की गिरफ्तारी बेहद चिंता जनक और निंदनीय है। इस घटनाक्रम में ISKCON के प्रमुख नेता स्वामी Chinmoy Krishna Das की गिरफ्तारी विशेष रूप से चौंकाने वाली है, जिन्हें… https://t.co/ZG8I49x4EH
— Rajeshwar Singh (@RajeshwarS73) November 28, 2024
वोट बैंक के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक मूल्यों को त्यागना, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य सेक्युलर दलों के लिए शर्मनाक स्थित है. तुष्टिकरण की राजनीति के लिए समाजवादी पार्टी के नेता संभल जाने को लालायित हैं, लेकिन बांग्लादेशी हिंदुओं के समर्थन में एक बयान तक नहीं दिया. उन्होंने कहा, बांग्लादेश सरकार द्वारा अपने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की जिम्मेदारी न उठाना लोकतंत्र और न्याय का सीधा उल्लंघन है. वैश्विक समुदाय को इन अन्यायों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठानी चाहिए, जवाबदेही की मांग करनी चाहिए और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न से मुक्त, भयमुक्त जीवन जीने का अधिकार देना चाहिए.