सदन में बोले CM योगी- ‘सनातन संस्कृति का आयोजन है महाकुंभ, अफवाल फैलाने वाले…’

Ved Prakash Sharma
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

UP Budget Session: यूपी विधानसभा में संक्षिप्त चर्चा में जवाब देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ के आयोजन को लेकर अफवाह फैलाने वाले करोड़ों लोगों की आस्था का अपमान कर रहे हैं. अब तक महाकुंभ में 56 करोड़ से भी ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं.

सीएम ने कहा कि महाकुंभ का आयोजन किसी सरकार का आयोजन नहीं है. यह सनातन संस्कृति का आयोजन है. महाकुंभ पर अफवाह फैलाने वाले और अनर्गल आरोप लगाने वाले सनातन आस्था का अपमान कर रहे हैं. इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए.

सीएम योगी ने कहा कि सपा के लोग महाकुंभ का पहले दिन से ही विरोध कर रहे हैं. इनकी एक सहयोगी ममता बनर्जी ने महाकुंभ को मृत्युकुंभ कहा है. इसी तरह राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने इसे फालतू की बात कहा है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि महाकुंभ की भगदड़ में हजारों लोगों की मौत हुई है.

उन्होंने कहा कि अगर सनातन संस्कृति का पालन करना अपराध है तो हम ये अपराध हजार बार करेंगे. उन्होंने सपा पर हमला बोलते हुए कहा कि संक्रमित व्यक्ति का उपचार हो सकता है, संक्रमित सोच का कोई उपचार नहीं है. महाकुंभ महान आयोजन है. महान कार्य को तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है. उपहास से, विरोध से और स्वीकृति से. स्वीकृति का इससे अधिक प्रमाण क्या हो सकता है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद चुपचाप जाकर महाकुंभ में डुबकी लगा आए.

उर्दू को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने सीएम योगी से पूछा सवाल
यूपी विधानसभा की कार्यवाही में अंग्रेजी भाषा को शामिल करने का विरोध करने और उर्दू को भी शामिल करने की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि हम अंग्रेजी भाषा का विरोध नहीं करते हैं, जिसे पढ़ना हो पढ़े, पर सदन की कार्यवाही में इसे शामिल नहीं करना चाहिए. ऐसा होने पर ज्यादातर सदस्य इसे समझ नहीं पाएंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सपा पर कठमुल्ला पैदा करने का आरोप लगाने पर कहा कि मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि गोरखपुर में उर्दू के बड़े शायर हुए रम्पत शाह फिराक क्या वो कठमुल्ला थे? क्या उर्दू में उपन्यास लिखने वाले कठमुल्ला थे? क्या विश्वविद्यालयों में उर्दू विभाग में पढ़ने वाले कठमुल्ला हैं? क्या अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले लोग कठमुल्ला हैं? मैं इस शब्द पर आपत्ति करता हूं. सदन की कार्यवाही में अंग्रेजी का प्रयोग उचित नहीं है। अंग्रेजी न तो हमारी संस्कृति की भाषा है और न ही राजभाषा है.

मालूम हो कि सदन की कार्यवाही में उर्दू भाषा को भी शामिल करने की मांग करने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाराज हो गए थे और कहा कि सपा के नेता अपने बच्चों को तो अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं, पर दूसरों को उर्दू पढ़ाना चाहते हैं. सपा के लोग देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहते हैं.

वहीं, इस पर जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में जवाब दिया कि हम अंग्रेजी भाषा को किसी पर थोपना नहीं चाहते हैं और न ही हम हिंदी भाषा को कमजोर कर रहे हैं. हमारी पार्टी का स्पष्ट मत है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जाए. अंग्रेजी के महत्व को देखते हुए हम सदस्यों को सुविधा दे रहे हैं. अंग्रेजी भाषा किसी पर भी थोपी नहीं जा रही है. सदन का कार्य हिंदी भाषा में ही होगा. सदस्यगण अवधी, ब्रज, बुंदेली और भोजपुरी में अपना संबोधन कर सकते हैं.

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