Deepawali 2023, आशुतोष मिश्रा/सुल्तानपुर: देश भर में आज दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है. पूरे देश में दीपोत्सव को लेकर धूम है. शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि लंका से जब श्री राम वापस अयोध्या आए थे, वहां के लोगों ने उनका स्वागत दीप जला कर किया था. उस समय से ही दीपावली का त्योहार मनाया जाने लगा. विभिन्न जगहों पर दीपावली को लेकर कई किस्से हैं. ऐसे में आपको दीपावली से जुड़ी एक और मान्यता बताते हैं.
दरअसल, कहा जाता है कि लंका में रावण वध के बाद अयोध्या लौटते समय भगवान राम सुल्तानपुर के दियरा घाट पर रुके थे. जहां पर उन्होंने दीप जलाया था. दीपावली की पूर्व संध्या पर दीपदान के बाद पूरे भारत में इसका विस्तार हुआ और दीपावली त्यौहार आज हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
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जानिए मान्यता
आपको बता दें कि सुलतानपुर का प्राचीन नाम कुशभवनपुर था. जिसे भगवान राम के सुपुत्र कुश ने बसाया था, इसलिए इसका नाम कुशभवनपुर पड़ा. जिला मुख्यालय से लगभग तीस किमी दूर आदि गंगा कही जाने वाली गोमती नदी के तट पर दियरा घाट स्थित है, जहां पर अयोध्या से पहले दिवाली मनाई गई थी. मान्यताओं के अनुसार रावण एवं लंका पर विजय बाद यहां पहुंचे भगवान श्रीराम ने ही पहला दीपदान किया था. लंका से श्रीराम, लक्ष्मण, सीता की सकुशल वापसी की खुशी में यहां हुए दीपदान में यहां के निवासियों के अलावा अयोध्या से अपने भगवान राम की आगवानी करने आए अयोध्यावासी भी दीपदान में शामिल हुए थे. अगल-बगल के ग्रामीण इस बात को लेकर आज भी बड़ा गौरवांवित हैं कि दीप पर्व की शुरुआत उनके यहां से मानी जाती है.
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जहां भगवान श्रीराम ने किया स्नान
कहा जाता है कि दीपदान से पहले भगवान श्रीराम ने नदी में स्नान किया इसके बाद वहां पर दीपदान किया. दीपदान के बाद से ही उस स्थान को दियरा नाम दिया गया. वहीं, दियरा से बगल के गांव में जहां रात्रि विश्राम किया था, उसे हरिशयनी नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि हरि (श्रीराम) के शयन से ही इस गांव का नाम पड़ा. इस सबका जिक्र यहां के जिला गजेटियर में हुआ है. आज भी उपरोक्त गांव में जहां भगवान राम ने निवास किया था, वहां ग्रामीण अपने को भाग्यशाली मानते हैं और यहां एक स्थल बनाकर पूजा पाठ भी करते हैं.
उल्लेखनीय है कि भगवान राम के सुपुत्र कुश की बसायी इस नगरी में रामायणकालीन स्थल एक नहीं कई मौजूद है. जिसमें से दियरा भी एक है. गोमती नदी के तट पर जहां पहली बार दिया जलाकर दिवाली मनाई गई उस स्थान का नाम दियरा एवं दीप नगर पड़ गया. यहीं नदी किनारे बना प्राचीन राम जानकी मंदिर है. कुछ दूर पर हनुमान मंदिर भी है. दियरा स्टेट रही है. इन मंदिरों की देख-रेख दियरा राज परिवार ही कर रहा है.