Gorakhpur: CM योगी बोले, ‘जियो और जीने दो’ का भारत ने दिया है सच्चा लोकतंत्र

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Gorakhpur News: मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने रविवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर समसामयिक विषयों के सम्मेलनों की श्रृंखला के पहले दिन ‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषयक सम्मेलन की अध्यक्षता की.

इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया में जब सभ्यता, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के प्रति आग्रह नहीं था, तब भारत मे सभ्यता, संस्कृति और मानवीय जीवन मूल्य चरम पर थे. भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीन काल से लेकर अर्वाचीन काल तक लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण रही है.

इसका उद्देश्य किसी का हरण करना या किसी पर जबरन शासन करना नहीं था, बल्कि इसकी भावना ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की रही है. इसका नया स्वरूप आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के संकल्प में दिखता है. हमारी ऋषि परंपरा जियो और जीने दो की रही है, क्योंकि यही सच्चा लोकतंत्र है और इस मूल्यपरक लोकतंत्र को किसी और ने नहीं, बल्कि भारत ने दिया है.

सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि लोकतंत्र को लेकर वैदिक कालखंड से लेकर रामायणकालीन और महाभारतकालीन अनेक उद्धारण देखने को मिलते हैं. भारत के लोकतंत्र में प्राचीन समय से लेकर आज तक जनता की आवाज और जनता के हित को ही सर्वोपरि रखा गया है.

उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में हमेशा ही यह कह गया है कि प्रजा का सुख ही राजा का दायित्व है. रामायण काल में भगवान श्रीराम ने भी अक्षरशः जनता की आवाज को महत्व दिया. भगवान श्रीकृष्ण ने भी खुद को कभी राजा नहीं समझा. उनके समय में वरिष्ठ व्यक्ति के नेतृत्व में गणपरिषद शासन का कार्य देखती थी. द्वारिका में जब अंतर्द्वंद्व प्रारंभ हुआ, तब इस परिषद के सदस्य आपस में लड़कर मर-मिट गए. उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने परिषद के सदस्यों की दुर्गति पर कहा था कि राज्य के नियम प्रत्येक नागरिक पर समान रूप से लागू होते हैं.

सीएम योगी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में कुछ लोगों पर गुलामी की मानसिकता आज भी हावी है. जबकि भारत में लोकतंत्र की जड़ें प्राचीन समय से ही गहरी रही हैं. उन्होंने बताया कि भारत तब गुलाम हुआ, जब लोकतंत्र की विरासत को संजोने में चूक हुई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन भारत में निरंकुश राजा को सत्ताच्युत करने का अधिकार जनता के प्रतिनिधित्व वाले परिषद के पास होता था. लोकतंत्र में यह स्पष्ट है कि जनता का हित ही सर्वोच्च है. प्राचीन काल में देखें तो वैशाली गणराज्य इसका एक उदाहरण है, जहां पूरी व्यवस्था जनता के हितों के लिए समर्पित थी.

भारतीय मूल्यों और संस्कारों से ही चल रहा लोकतंत्र: हरिवंश नारायण
‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषयक सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि लोकतंत्र के संस्कार पांच हजार वर्ष पुराने भारतीय मूल्यों से गढ़े गए हैं. सही मायने में भारतीय मूल्यों और संस्कारों से ही लोकतंत्र चल रहा है.

उन्होंने कहा कि खुलकर अपनी बात रखना ही लोकतंत्र का यथार्थ है और यह मूल्य भारत की हजारों वर्षों की परंपरा में निहित रहे. भारतीय लोकतंत्र में जनता को हर प्रकार की आजादी के साथ खामी को भी ठीक करने की गुंजाइश है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी मूल्यों से प्रभावित लोगों ने ही भारतीय लोकतंत्र को आयातित समझने की भूल की है. इस भूल का कारण यह रहा कि भारतीय लोकतंत्र को यूनान को नजर से देखने की आदत डाली गई.

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