Gyanvapi News: वाराणसी में ज्ञानवापी के अंदर सील बंद वजुखाने में पूजा की अनुमति मिलने के बाद बयानबाजी का दौर जारी है. हिंदू और मुस्लिम पक्ष एक दूसरे पर तीखी बयानबाजी कर रहे हैं. बीते दिनों राम मंदिर के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने ज्ञानवापी को लेकर बयान दिया था. वहीं, अब मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि यह मस्जिद नहीं बल्कि ज्ञानवापी मंदिर है.
वहीं, राम मंदिर के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज के ‘तीन मंदिर चाहिए’ वाले बयान पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि, ‘यह मस्जिद नहीं बल्कि ज्ञानवापी मंदिर है, वहां पूजा शुरू हो गई है. मुसलमानों को ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए. यह भाईचारे की मिसाल कायम करेगा.”
ज्ञानवापी मंदिर है वो …
राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि बहुत अच्छी बात हैं. गोविंद देव गिरि महाराज ने जो सुझाव दिया है वो मुस्लिम पक्ष को दिया है. उनको चाहिए कि कोई भी मस्जिद तोड़कर मंदिर नहीं बनती है. अगर बनती है तो अल्लाह उसमें नमाज अदा करने पर उसकी नहीं सुनता है. ये उनकी सरियत के अनुसार गोविंद गिरि जी महाराज ने कहा है. उसको उन्हें स्वीकार करना चाहिए. वो ज्ञानवापी मंदिर है वो ज्ञानवापी मस्जिद नहीं है.
हिंदुओं को सौंप दे ज्ञानवापी मंदिर
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जिला अदालत ने पूजा की अनुमति भी दे दी है. उसमें पूजा भी शरू हो गई है. केवल तीन ही मंदिर के लिए हमारी मांग है. राम जन्मभूमि हो गया है अब ज्ञानवापी को हिंदुओं को सौंप दें. यही इनके लिए अच्छा होगा और सारे दुनिया के लोग जानेंगे कि ज्ञानवापी मंदिर था, इसी वजह से उसे मुसलमानों ने हिंदुओं को सौंप दिया है.
#WATCH | On “Want three temples” statement of Swami Govind Dev Giri Maharaj, Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra, Chief Priest, Acharya Satyendra Das says, “It is not a mosque but Gyanvapi temple. Puja has started there. Muslims should hand over Gyanvapi to the Hindus. It would… pic.twitter.com/L6cJaqeOLL
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 5, 2024
गोविंद देव गिरी ने की थी प्रार्थना
गौरतलब है कि इससे पहले स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा, “मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि इन तीन मंदिरों (अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि) को सौंप देना चाहिए क्योंकि ये आक्रांताओं द्वारा हमारे ऊपर किए गए हमलों के सबसे बड़े निशान हैं. अगर मुस्लिम पक्ष इस दर्द को शांति से ठीक कर सकें, तो भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी.”
ये भी पढ़ें-