UP News: जीवन को संयमित बनाने के लिए आचरण और व्यवहार पर कठोर नियंत्रण आवश्यक: डा. दिनेश शर्मा

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

UP News: राज्यसभा सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि जीवन को संयमित बनाने के लिए आचरण और व्यवहार पर कठोर नियंत्रण आवश्यक है. भारत के पारम्परिक योग को अपनाकर जीवन में बदलाव लाया जा सकता है. जीवन में अच्छा मित्र सदगुणों को लाने में सहायक होता है. अपने व्यवहार का आंकलन करने वाले के व्यक्तित्व में निखार अवश्य आता है. रेनेसा होटल, गोमती नगर मे आयोजित “स्वास्थ्य एवं सौंदर्य (एआईसीबीए)” के 22 वे वार्षिकोत्सव को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए सांसद ने कहा कि व्यक्ति के मन का अन्दर से प्रसन्न होना ही जीवन का सच्चा सौन्दर्य होता है.

इससे चेहरे पर अलग प्रकार का तेज आ जाता है. यह किसी भी सौन्दर्य सामग्री के प्रयोग से नहीं आ सकता है. सबके हित चिन्तन की भावना ही व्यक्ति को अलग पहचान देती है. समय के साथ व्यक्ति के चेहरे में आने वाले बदलाव उसके व्यक्त्वि को नहीं बदल सकते हैं. उन्‍होंने कहा कि भारत में तमाम प्रकार के सौन्दर्य का वर्णन है. सौन्दर्य के कारण ही कई युद्ध भी हुए है और कवियों ने तो पानी में देखकर भी सौन्दर्य पर कविता लिख दी हैं. अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं गी नोएडा के डायरेक्टर कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो ए के सिंह की क्रियाविधि हमेशा ही रचनात्मक और लीक से हटकर रही है.

हर व्यक्ति की सौन्दर्य को लेकर अलग परिभाषा रहती है, किसी के लिए आन्तरिक तो किसी के लिए बेहतर स्वास्थ्य ही सौन्दर्य होता है. डा शर्मा ने एक वार्तालाप अंश बताते हुए कहा कि चलने फिरने से रक्त का बेहतर संचार बना रहता है. संतुलित आहार, समय से उठना समय से सोना तथा हर प्रक्रिया का समय से संचालन करना चाहिए. मस्तिष्क के बेहतर स्वास्थ्य के लिए चिन्ता मुक्त होना आवश्यक है, पर आज के समय में हर व्यक्ति चिन्तायुक्त है. इन चिन्ताओं का कारण धन का होना अथवा उसका आभाव होने के साथ ही भविष्य की चिन्ता होती है. अधिकांश लोग वर्तमान में  जीवन नहीं जी पाते हैं.

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में व्यक्ति के दुख का सबसे बडा कारण पडोसी का सुख है. जिस दिन व्यक्ति पडोसी के सुख और दुख दोनो को अपना मान लेगा उसी दिन से जीवन में दुख दूर हो जाएगा और मस्तिष्क सुखी हो जाएगा. अपने आप से खुद को अच्छा लगना भी सौन्दर्य ही है. उन्होंने बताया, अमेरिका में हुई शोध में कहा गया कि बच्चें को उसके दादा दादी अथवा नाना नानी के साथ रखना चाहिए, इससे उसकी तमाम जिज्ञासाएं शान्त होती है एवं बच्चे का मस्तिष्क तेज होता है. भारत की संस्कृति में चूल्हे की परम्परा परिवार को जोडने का कार्य करती है.

इस अवसर पर डॉक्टर ब्लॉसम कोचर, निदेशक, पीजीआई, नोएडा डॉक्टर ए.के. त्रिपाठी, कार्य कम संयोजक डॉ. रमा श्रीवास्तव मुंबई से पधारे गिनीज बुक रिकॉर्डधारी हेयर स्टाइलिश हरीश भाटिया, डॉ वैभव खन्ना, डॉ तृप्ति बंसल, डॉक्टर मनोज श्रीवास्तव, प्रोफ़ेसर एस.डी पांडे एवं प्रो. अशोक चंद्रा आदि उपस्थित रहे.

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