Munawwar Rana Death News: उर्दू जुबान के मशहूर शायर मुनव्वर राणा का लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया. कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रविवार रात अंतिम सांस ली. आज ऐशबाग कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. उनका जन्म 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में हुआ था. उन्हें साल 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था.
मुनव्वर तो अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी शेरो-शायरी आज भी हमारे जेहन में अगर है. मुनव्वर राणा की मां पर लिखी गई शायरी को दुनिया भर में खूब प्रसिद्धि मिली. मुनव्वर मां पर लिखे हैं, “किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई. मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में मां आई”.
कुछ नहीं होगा तो आंचल में छुपा लेगी मुझे मां कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं,
मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊं.
ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया
मां ने आंखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है.
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है.
ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते
सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं.
अंधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है.
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है.
मैं इससे पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ
मुझे सँभाल ले मुमकिन है दर-ब-दर हो जाऊँ.
मुख़्तसर होते हुए भी ज़िंदगी बढ़ जाएगी
माँ की आँखें चूम लीजे रौशनी बढ़ जाएगी.