UP; Panchnad: इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे प्रकृति से प्रेम न हो. प्रकृति के नजारो के बीच वक्त बिताना काफी सुकून भरा पल होता है. विंटर वेकेशन, समर वेकेशन या फिर छुट्टियां लेकर ज्यादातार लोग दूर-दूर घूमने जाते हैं. हिल स्टेशंस, एडवेंचर डेस्टिनेशन आदि का रूख करते हैं. नदियां, झरनें और पहाड़ की ऊंची-ऊंची चोटियों का खूबसूरत नजारा मन को मोह लेते हैं.
वहीं अगर कहीं पर नदियां जब मिलती हैं तो उस जगह की खूबसूरती में खो जाने का मन करता है. आपने रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम और प्रयागराज में तीन नंदियों के संगम के बारे में जरूर सुना होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसी जगह भी है जहां पांच नदियों का संगम होता है. आइए इसके बारे में जानते हैं…
उत्तर प्रदेश का जालौन
पांच नदियों के संगम को सुनकर कर हैरानी होगी लेकिन यह खूबसूरत जगह उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में औरैया व इटावा की सीमा पर स्थित है. पांच नदियों का मिलन होने से इस जगह को पंचनद के नाम से जाना जाता है. धार्मिक दृष्टि से यह बेहद पवित्र स्थान है और इसे महा तीर्थराज भी कहते हैं.
इन नदियों का होता है मिलन
पंचनद में यमुना, चंबल, सिंध, पहज, और कुंवारी नदियों का मिलन होता है. इस जगह का ऐतिहासिक महत्व भी है. माना जाता है कि यह वही जगह हैं जहां महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव रूके थे. कार्तिक पूर्णिमा के दौरान यहां पर श्रद्धालु का सैलाब उमड़ता है. इस संगम के पास में मुचकुंद महाराज का मंदिर भी स्थित है.
तुलसीदास गोस्वामी ने ली थी एक ऋषि की परीक्षा
इससे जुड़ी यह भी कहानी प्रचलित है कि ऋषि मुचकुंद की यशस्वी गाथा सुनकर एक बार तुलसीदास जी ने उनकी परीक्षा लेने की ठानी. तुलसीदीस यहां आए और पानी पिलाने के लिए आवाज लगाई. तब ऋषि मुचकुंद ने अपने कमंडल से जो जल छोड़ा वह कभी खत्म नहीं हुआ और तुलसीदास जी को ऋषि मुचकुंद के प्रताप को स्वीकार करना पड़ा. तुलसीदास उनके सामने नतमस्तक हो गए.
दुनिया की एकमात्र जगह
औरैया व इटावा की सीमा पर पंचनद बहुत ही अनूठी और खूबसूरत जगह है. ये दुनिया की एक ऐसी इकलौती जगह है, जहां पर पांच नदियों का मिलन होता है. प्राकृतिक जगहों को करीब से एक्सप्लोर करना चाहते हैं या फिर आध्यात्मिक जगहों पर जाना अच्छा लगता है तो पांच नदियों के संगम वाले पंचनद जरूर जाएं.
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