UP News: उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा यह देश एकता, समन्वय और सौहार्द्र का है और मोदी ऐसा ही वातावरण देने का प्रयास कर रहे हैं इसीलिए वे सबका साथ सबका विकास एवं सबके लिए प्रयास की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस राम मन्दिर के लिए जनता ने आंदोलन किया, संघर्ष किया आज संतो राम भक्तों एवं मोदी और योगी के प्रयास से अयोध्या में राम मन्दिर बन गया है जो देश के वातावरण को सियाराममय बना देगा। उन्होंने कहा कि जब किसी को राशन दिया जाता है तो उसकी जाति नही पूछी जाती अैार अगड़े पिछड़े, सवर्ण और दलित तथा हिन्दू और मुसलमान को समान रूप से दिया जाता है। इसलिए वास्तव में यही रामराज्य है। उनका कहना था कि रामराज्य वह है जहां सब मिलकर काम करें।इसी प्रकार शौचालय एवं मकान देने में भी किसी प्रकार का भेदभाव नही बरता जाता किंतु दक्षिण में आज सनातन संस्कृति एवं राम के नाम का प्रयोग अशिष्ट भाषा में प्रयोग करनेवाला डीएमके का मंत्री कांग्रेस का दोस्त है और कहता है यह डेंगू है, मलेरिया है तथा सनातन को समाप्त कर देंगे तथा उनके सहयोगी समाजवादी पार्टी के एक नेता कहते है कि हिंदू धर्म घोखा है। वे सीता माता और लक्ष्मी माता का अपमान करने से गुरेज नही करते। उन्हे नही पता कि रामजी को जिससे काम कराना होता है करा लेते है और बोलनेवाला बोलता रहता है। जहां संत है वहां बसंत है और जहां वसंत है वहा दुःखों का अंत है।
उनका कहना था कि यहां महमूदाबाद के संकटा धाम में अपार जनसमूह के साथ उपस्थित संतों का आशीर्वाद सबको मिल रहा है यह सौभाग्य की बात है। डा. शर्मा ने कहा कि जहां पर श्रीराम की कथा होती है तथा जहां सत्य और धर्म होता है, जहां मनुष्य में सेवा का भाव होता है वहां अदृश्य रूप में भगवान बजरंगबली विराजते हैं। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी से प्रसन्न होने पर एक यक्ष देवता ने कहा है कि जो कोई व्यक्ति राम कथा शुरू होने के पहले आए और कथा समाप्त होने के बाद जाय तो समझना चाहिए कि यही हनुमान जी हैं। उन्होंने हनुमान जी, और राम जी के संबंध में एक दृष्टांत प्रस्तुत किया और कहा कि जो राम को सच्चे भाव से पुकारता है रामजी को उसकेा आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। कहा तो यह जाता है कि श्रीराम के जीवन का प्रथम चरित्र वर्णन का लेखन तुलसी जी से पहले श्री हनुमानजी ने स्वयं लिखा था। उन्होंने इसे महर्षि बाल्मीकि जी को दिखाया था और उनसे कहा था कि वे इसे देख लें इसमें कोई गलती तो नही है। नौका बिहार करते समय वह हनुमान जी द्वारा लिखित पुस्तक को पढ़ते है , वह जल में गिर जाती है तो हनुमान जी कहते हैं कि ऋषिवर अब मुझ में दोबारा लिखने की शक्ति नहीं है इसे अब आपको ही लिखना होगा कहा तो यह कहा जाता है कि बाल्मीकि जी अगले जन्म में तुलसीदास बने तथा रामचरितमानस की रचना की।
रामायण में तुलसी ने लिखा है कि सियाराम मय सब जग जानी । करहु प्रणाम जोरि जुग पानी। कहा तो यह जाता है कि सियाराम का नाम सच्चे मन से लेकर शत्रु को भी प्रणाम करने से शत्रु भी उस व्यक्ति का दास बन जाएगा। सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा केवल सन्यास लेकर भगवान का नाम लेना असली तप नही है असली तपस्या तो सर्वे भवन्तु सुखिनः पर आचरण करनेवाला करता है। जो सबके लिए कमाकर खिलाने का काम करते हैं वही श्रेष्ठ मानव कहलाता है। उन्होंने एक दृष्टांत देते हुए कहा कि एक कार्यक्रम में एक व्यक्ति ने कहा कि वह घर सुखी होता है जहां केवल पत्नियों की चलती हैं किंतु दूसरे ने कहा कि जिस घर में पति की चलती है वह घर सुखी होता है।वहीं मौजूद एक बुजुर्गवार ने कहा कि वह घर सुखी होता है जहां पति पत्नी के साथ माता पिता की चलती है किंतु हकीकत यह है कि वह घर सुखी होता है, जहां पति पत्नी, माता पिता के साथ साथ ईश्वर की चलती हो। जिस घर में राम हैं जिस घर में शिव हैं उस घर के अंतर्मन में असत्य धारण नही करता है तथा जहां सत्य धारण करता है वहां राम का निवास होता है। जहां राम का निवास होता है वहां कल्याण होता है और जहां कल्याण होता है वहां पूरे परिवार का उद्धार होता है। उनका कहना था कि आज किस रूप में हनुमान जी आए हैं इसका पता ही नही है।
बजरंगबली तो भगवान शंकर के रूद्रावतार हैं और लक्ष्मण जी शेषनाग का अवतार हैं और माता सीता लक्ष्मी जी के अवतार हैं। उन्होंने कहा ऐसा कहा जाता है कि राम से बड़ा राम का नाम है तथा राम की पूजा करने से भी अधिक फल राम का नाम लेने से होता है। कांग्रेस के लोगों ने राम को नही माना तो राजा से रंक बन गए और भाजपा के लोगों ने राम को माना वे सर्वोच्च स्थान पर विराजमान हो गए। राम को चुनौती देने वाला पराजित हो जाता है और राम का नाम लेनेवाला अपराजित हो जाता है। उन्होने अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति का दिव्य वर्णन करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति को कोई चुनौती नही दे सकता तथा चुनौती देनेवाले को जनता हराकर घर भेज देती है।राम हर घट में व्याप्त हैं। जहां धर्म है वहां राम हैं जहां सत्य है वहां राम हैं तथा जहां परोपकार है वहां राम हैं। राम एकता का राम हैं राम पारिवारिक संबंधों का नाम है तथा पिता के प्रति पुत्र कत्र्तव्यों का नाम राम है। अपने निषाद जैसे मित्रों के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करने का नाम राम है। कार्यक्रम में भारी जल समूह के साथ विधायक साकेंद्र वर्मा क्षेत्रीय विधायक आशा मौर्य कार्यक्रम संयोजक रमेश बाजपेई सदस्य विधान परिषद पवन सिंह सहित गढ़मान्य जन उपस्थित थे।