UP News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वाराणसी दौरे के दौरान सीरगोवर्धन में संत गुरु रविदास की 647वीं जयंती समारोह में शामिल हुए. इस दौरान पीएम मोदी ने यहां संत रविदास की 25 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया, इसके बाद मंदिर में पूजा-अर्चना की और लंगर (सामुदायिक भोज) में प्रसाद ग्रहण किया. इससे पहले पीएम मोदी अपने वाराणसी दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार सुबह काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने स्वतंत्रता भवन में आयोजित कार्यक्रम में काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के टॉपर्स को सर्टिफिकेट वितरित किया.
इस दौरान उनके साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मौजूद रहे. इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता, सांसद संगीत प्रतियोगिता, सांसद ज्ञान प्रतियोगिता सहित अन्य श्रेणियों में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाणपत्र व मेडल दिए. उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत ‘नमः पार्वती पतये हर हर महादेव’ के साथ की. उन्होंने कहा कि काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है.
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आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है. ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है. पिछले 10 वर्षों में काशी में विकास के जो कार्य हुए हैं, उसके बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लॉन्च की गई है. पिछले 10 वर्षों में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इन किताबों में किया गया है.
‘भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है काशी‘: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं. जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है. काशी केवल हमारी आस्था का तीर्थ ही नहीं है, ये भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है. उन्होंने कहा, ‘एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में कही जाती थी. इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी.
इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी. काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं. यहां साधना भी होती थी और शास्त्रार्थ भी होते थे. यहां संवाद भी होते थे और शोध भी होते थे. यहां संस्कृति के स्रोत भी थे और साहित्य संगीत की सरिताएं भी थीं’.
‘शोध और शांति की तलाश में काशी आते हैं लोग‘
पीएम मोदी ने बीएचयू में आयोजित सांसद संस्कृत प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अपने संबोधन में कहा, काशी शिव की भी नगरी है, ये बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है. काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला था. पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं.
हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं. जिस स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है. काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करालु महोत्सव जैसे एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियानों का भी विश्वनाथ धाम हिस्सा बना है. नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी है. मैं आशा करता हूं कि यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे.
‘पांच वर्षों में सफलता के नए-नए प्रतिमान गढ़ेगा देश‘
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है. भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है. भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है. भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है. अगले पांच वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा.
देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा और ये मोदी की गारंटी है. और काशी के लोगों से अच्छा कौन जानेगा कि मोदी की गारंटी मतलब गारंटी पूरी होने की गारंटी. काशी तो संवरने वाला है… रोड़ भी बनेंगे, भवन भी बनेंगे लेकिन मुझे तो यहां जन जन को संवारना है, हर मन को संवारना है और एक सेवक बनकर संवारना है, साथी बनकर संवारना है.
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