Sultanpur: रिटायर्ड सूबेदार बने लेखपाल, पिता-पुत्री ने एक साथ पाई सफलता, जानिए इनकी दिलचस्प स्टोरी

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Sultanpur: ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि अगर हौसले बुलंद हों तो कामयाबी आपके कदम चूमेगी. वहीं, कामयाबी दोगुनी हो तो फिर क्‍या ही कहना. कुछ ऐसी ही कामयाबी यूपी के सुल्‍तानपुर के एक पिता-पुत्री ने हासिल की है. दरअसल, यूपी में लेखपाल भर्ती का रिजल्‍ट आने के बाद सुलतानपुर के एक परिवार में दोहरी खुशी दौड़ गई.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में लेखपाल के पद पर जहां सेना से रिटायर्ड पिता ने सफलता हासिल की, वहीं बेटी ने भी लेखपाल परीक्षा में पहले प्रयास में ही बाजी मारी ली. पिता-पुत्री के एक साथ एक ही विभाग में चयन होने से परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है. बाप-बेटी की सफलता की चर्चाएं चारों ओर हैं और ऐसे में हर कोई उन्‍हें बधाई देने  के लिए उनके घर पहुंच रहा है.

समाज के लिए कुछ करना चाहते थे रवींद्र

दरअसल सुल्तानपुर जिले के बल्दीराय तहसील अंतर्गत उमरा पूरे जवाहर तिवारी गांव के निवासी रवींद्र त्रिपाठी साल 2019 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो गए थे. इसके बाद वो जब घर आए तो उन्हें लगा कि समाज के लिए उन्‍हें कुछ करना चाहिए.

रवींद्र त्रिपाठी ने बताया कि इससे पहले मैने एसआई की परीक्षा दी थी, जिसमें मैं क्‍वा‍लिफाई भी हो गया था. लेकिन मैने एसआई की नौकरी नहीं ज्‍वाइन की. मैने यूपी लेखपाल का परीक्षा दिया, जो कि बहुत ही अच्‍छा गया था. उन्‍होंने कहा कि मै समाज के लिए कुछ करना चाहता था, लेकिन इस बेरोजगारी के समय में एक नौकरी छोड़कर दूसरी पाना मेरे लिए आसान नहीं था.

पिता-बेटी ने एक साथ पाई सफलता

बता दें कि रवींद्र त्रिपाठी की उम्र करीब 50 वर्ष है. उन्‍होंने 19 साल की उम्र में साल 1991 सेना को ज्‍वाइन किया था. नौकरी में रहते हुए ही उन्‍होंने फॉर्म भरकर साल 2004 में ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद वो 5 मार्च 2019 को सूबेदार के पद से रिटायर्ड हो गए. घर पर बैठ कर उन्‍हें लगा कि उन्‍हें समाज के लिए कुछ करना चाहिए.

इसके बाद रवींद्र त्रिपाठी एक बार फिर से पढ़ाई अध्ययन में मन लगाने लगे और यहां उनकी सहयोगी बनीं उनकी अपनी बेटी प्रिया. इस दौरान दोनों ने उत्तर प्रदेश अधिनस्त सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित लेखपाल भर्ती परीक्षा का फॉर्म भरा, परीक्षा दी और सफलता पाई. बाप-बेटी का एक ही विभाग में नौकरी मिलने की खबर से परिजनों के खुशी का ठिकाना नहीं है.

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