वाराणसी से लगभग 90 किलोमीटर दूर सोमभद्र जनपद स्थित हैं। मैं 8 मई 2023 को वाराणसी से सोनभद्र जनपद के रास्ते पर सफर पर था। हाईवे से लगभग 90 किलोमीटर की यात्रा कर मैं सोमभद्र के मुख्यालय राबर्टसगंज पहुंचा था, इसके बाद मैंने वहां पंचमुखी महादेव मंदिर, प्राचीन राकपेटिंग्स देखी और इसके बाद मुझे देश की आजादी के बाद बने रिहंद डैम को देखने की इच्छा हुई और मैं रिहंद डैम देखने के लिए निकल पड़ा। मुझे राबर्टसगंज से रेणुकूट पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई। तब मैं वहां एक पहाड़ी पर बने हिंडाल्को गेस्ट हाउस में रुक गया। मैंने पता किया कि रिहंद डैम को कैसे देखा जा सकता है। इसके लिए मैंने रिहंड डैम के पास बने थाना पिपरी से संपर्क किया तो वहां पर थानाध्यक्ष दिनेश पांडेय मिल गए, जो मेरे पूर्व परिचित थे। थानाध्यक्ष दिनेश पांडेय ने मुझे बताया कि रिहंद डैम देखने के लिए प्रवेश पत्र बनवाना पड़ता है, जो उन्होंने थाने के पुलिसकर्मियों को भेजकर बनवा दिया। इसके बाद मैं रिहंद डैम देखने पहुंच गया, जहां मैंने 30 किलोमीटर लम्बी और 15 किलोमीटर चौड़ी कृतिम झील को देखा, जो देश की सबसे बड़ी कृतिम झील थी। इसके बाद उस झील को देखते-देखते सन 1950 के दशक की शुरुआत में खो गया, जहां आज झील दिखाई पड़ रही थी, वहां काफी बड़ा एक कस्बा होता था और यहां प्राचीन समय से ही जन-जीवन चला आ रहा था।
मेरे साथ गए एक पुलिसकर्मी ने झील के एक किनारे की तरफ इशारा करते हुए बताया कि यहां एक किला हुआ करता था, जो इस झील में समा गया। सोन नदी के नाम से ही जनपद का नाम सोमभद्र पड़ा और सोन नदी की सहायक नदी रिहंद को ही बांधकर रिहंद डैम बनाया गया। तभी मेरी नजर पहाड़ी पर बने एक मकान पर पड़ी। पूछने पर पता चला कि यह बिजली विभाग का गेस्ट हाउस है। पहले इसमें काफी सुविधाएं थी, लेकिन समय के साथ-साथ यह काफी पुराना और जर्जर हो गया है। यूरोप के बेहद सुंदर प्राकृतिक छटाओं से भरपूर स्विट्जरलैंड देखने की इच्छा सभी लोगों की होती है, लेकिन पैसे के अभाव में लोग वहां नहीं जा पाते हैं, इसके लिए निराश होने की जरूरत नहीं हैं, आइए हम जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का स्विट्जरलैंड कहां पर है।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू 1954 में सोनभद्र पहुंचे थे, तब वह सोनभद्र की प्राकृतिक बनावट और सुंदरता से इतने मोहित हो गए थे कि उन्होंने कहा था कि यह स्थान भारत का स्विट्जरलैंड हैं और तभी से सोनभद्र को मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाने लगा। सोनभद्र की कैमूर की पहाड़ियां अनेक रहस्यों को समेटे हुए हैं। प्रकृति के कई अद्भुत नजारे भी यहां काफी हैं। चारो ओर हरियाली भरे खूबसूरत नज़ारे, जनपद में अच्छी सड़को का जाल और कई ऐसे स्थान जो विश्व पटल पर जाने जाते हैं । सलखन का 160 करोड़ वर्ष पुराना विश्व प्रसिद्ध फोसिल्स पार्क, शिवद्वार, जहां भगवान शंकर और पार्वती की अद्भुत 11वीं शताब्दि की मूर्ति मंदिर में स्थापित हैं। वीर लोरिक के अमर प्रेम कहानी का प्रतीक विशालकाय पत्थर आज भी राबर्टसगंज से 5 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां प्रेम करने वाले जोड़े जो भी मन्नत मांगते है, वह पूरी होती है। अगोरी और विजयगढ़ का किला लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। विजयगढ़ किला चंद्रकांता की अमर प्रेम कहानी का प्रतीक है।
चंद्रकांता की कहानी हर जुबान पर हैं, जो सोनभद्र स्थित विजयगढ़ किले पर आधारित हैं और यह किला तिलिस्मी किले के रूप में भी जाना जाता है। रॉक पेंटिंग्स और मुक्खा फॉल भी सोनभद्र की खुबसूरती पर चार-चांद लगाते हैं। बेलन नदी पर स्थित मुक्खा फॉल की प्राकृतिक जलप्रपात की नैसर्गिक छंटा मन मोहने वाली है। चट्टानों से टकराते हुए नदी के जल को करीब 50 फीट गहराई में गिरते देखना बेहद रोमांचकारी है। शांत और सुरम्य वातावरण के बीच झरने की कल-कल करती आवाज ऐसा सुकून देती है कि यहां से जाने का मन ही नहीं करता है। रिहंद बांध आकार की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा बाँध है। रिहंद बाँध को गोबिंद बल्लभ पंत सागर बांध के रूप में भी जाना जाता है।
इसका निर्माण 1954 से 1962 के बीच हुआ । रिहंद बाँध सोन नदी की एक सहायक नदी रिहंद नदी पर स्थित है। इस बांध का जल क्षेत्र उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ है। बांध एक की ऊंचाई 91.44 मीटर है और कुल क्षमता 300 मेगावाट है। 1962 में सोनभद्र लोगों के निगाह में आया जब रिंहद बांध (गोविंद बल्लभ पंत सागर बांध) का उदघाटन करने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु पहुंचे और इसे भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा.