समान नागरिक संहिता लागू कर आज उत्तराखंड रचेगा इतिहास, CM पुष्कर सिंह धामी UCC Portal करेंगे लॉन्च

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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UCC In UttaraKhand: उत्तराखंड आज, 27 जनवरी को इतिहास रचने जा रहा है. जी हां, बता दें कि यहां समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किया जाएगा. इस तरह उत्तराखंड ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा. समान नागरिक संहिता न केवल पूरे राज्य में लागू होगी, बल्कि यह राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के लोगों पर भी लागू होगी. यह ऐतिहासिक विधेयक दोपहर करीब 12:30 बजे लागू किया जाएगा.

सीएम पुष्कर सिंह धामी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य दौरे से ठीक पहले यूसीसी पोर्टल का अनावरण करेंगे. उत्तराखंड सरकार द्वारा अनुमोदित यूसीसी नियमों में व्यक्तिगत कानूनों से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए एक अलग प्रक्रिया बनाने के विवादास्पद प्रस्तावों को टाल दिया गया है. शत्रुघ्न सिंह समिति द्वारा UCC के लिए प्रस्तावित नियम जो प्रारंभ में 18 अक्टूबर 2024 को सीएम के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे, उनमें कुछ संशोधनों के अधीन थे.

इन प्रावधानों को किया गया शामिल

सूत्रों के मुताबिक, 400 पन्नों के इस विस्तृत दस्तावेज को संक्षिप्त करके 100 पन्नों से कम कर दिया गया है, जिसमें केवल विवाह पंजीकरण, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन से संबंधित प्रावधानों को ही रखा गया है. उत्तराखंड सरकार द्वारा अनुमोदित संशोधित समान नागरिक संहिता नियमों में अब व्यक्तिगत कानूनों से संबंधित विवादों को निपटाने के लिए अलग प्रक्रिया का प्रस्ताव शामिल नहीं है. आज लागू होने वाला यूसीसी में बेटों और बेटियों दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित करता है. यूसीसी के तहत बहुविवाह पर प्रतिबंध होगा तथा इस ऐतिहासिक कानून के तहत एकविवाह को आदर्श माना जाएगा.

UCC कानून में क्या बनाए गए नियम ?

UCC के मुताबिक, विवाह के लिए न्यूनतम लड़कों की उम्र 21 वर्ष और लड़कियों की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई है. विवाह दंपती के धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार सम्पन्न होगा और विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा. यूसीसी लागू होने के बाद, वैध और नाजायज बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं होगा, क्योंकि कानून का उद्देश्य संपत्ति के अधिकारों पर इस अंतर को खत्म करना है. एक बार जब UCC लागू हो जाएगी, तो सभी बच्चों को जैविक संतान के रूप में मान्यता दी जाएगी. कानून यह भी सुनिश्चित करेगा कि गोद लिए गए, सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से गर्भ धारण किए गए बच्चों को जैविक बच्चों के समान माना जाएगा. किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, कानून उसके जीवनसाथी और बच्चों को समान संपत्ति अधिकार प्रदान करेगा.

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