अवमानना नोटिस का Patanjali ने नहीं दिया जवाब, Supreme Court ने अगली तारीख पर पेश होने का दिया आदेश

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Patanjali Case: अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 मार्च) को आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु रामदेव को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बीमारियों के इलाज पर भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालाकृष्ण को अवमानना का नोटिस भेजकर जवाब मांगा था.
लेकिन, पतंजलि की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. बता दें, एससी ने इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद और उसके उत्पादों को लेकर कोर्ट में दिए गए पहले के आश्वासनों के उलंघन को लेकर भी फटकार लगाया था. इतना ही नहीं, एससी ने पतंजलि को दवाओं से जुड़े गलत दावों के संबंध में भी जवाब मांगा था. जानकारी रहे कि इस मामले में न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह और हिमा कोहली की बेंच ने पचंजलि से नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों ना की जाए.

पिछले साल नवंबर में किया था आगाह

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने याचिका में बताया था कि पतंजलि ने दावा किया था कि योग अस्थमा और डायबिटीज को ‘पूरी तरह से ठीक’ कर सकता है. पिछले साल नवंबर में एससी ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर केंद्र से परामर्श और गाइडलाइंस जारी करने का आदेश दिया था. पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को मीडिया में (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह की) अन्य दवा प्रणालियों के बारे में कुछ गलत कहने के लिए आगाह किया था. कंपनी ने पहले अदालत के समक्ष अपने हलफनामे में ऐसा नहीं करने की बात कही थी.
पिछले साल 21 नवंबर को, कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि आगे से कानून का कोई उल्लंघन नहीं होगा. कंपनी की ओर से हलफनामे में कहा गया था कि पतंजलि उत्पादों के औषधीय असर का दावा करने वाला कोई भी अनौपचारिक बयान या किसी भी दवा प्रणाली के खिलाफ कोई बयान या विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा. शीर्ष अदालत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें रामदेव पर टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं को बदनाम करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है.

क्या है आईएमए का आरोप?

आईएमए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था. इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए. खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की. कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. अदालत ने केंद्र और आईएमए को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 15 मार्च मुकर्रर की. रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
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