Electoral Bonds: लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. वोटर को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है. कोर्ट ने यहा भी कहा है कि बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट को सार्वजनिक करना होगा.
दोनों फैसले सर्वसम्मत
एससी के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, इस मामले में सुनवाई कर रहे सभी जजों ने सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया है. केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं- एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं. फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. सरकार से पूछना जनता का कर्तव्य है. इस फैसले पर जजों की राय है.
चुनावी बॉन्ड को करना होगा रद्द: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, चुनावी बॉन्ड योजना, अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है. कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है. एससी ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया. एससी का कहना है कि चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा.
मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड से जुड़ी राजनीतिक फंडिंग पारदर्शिता को प्रभावित करती है और मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है. याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि इस योजना में शेल कंपनियों के माध्यम से योगदान करने की अनुमति दी गई है.
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