Supreme Court on Bulldozer Action: देश भर में चल रहे बुलडोजर एक्शन इन दिनों विवादों में घिर गया है. बुलडोजर एक्शन के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी आरोपी के घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्शन को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी
दरअसल, उदयपुर में चाकू मारने के आरोपी बच्चे के पिता के घर पर बुलडोजर चलने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि म्युनिसिपल नियमों के मुताबिक नोटिस देकर ही अवैध निर्माण को ढहाया जा सकता है. किसी के किसी अपराध में आरोपी होने के चलते नहीं. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस बारे में कुछ दिशानिर्देश तय करने की ज़रूरत है, जिसका सभी राज्य पालन करें.
यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा कि ज्यादातर मामलों में अवैध निर्माण के खिलाफ नोटिस पहले ही दिया गया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम भी अवैध निर्माण को बचाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन किसी लड़के की गलती के चलते उसके पिता का घर गिरा देना सही नहीं हो सकता. इसके बाद मेहता ने कहा कि हम भी सभी पक्षों से बात कर समाधान की कोशिश करेंगे.
दोषी हो तब भी नहीं गिराया जा सकता है घर
वहीं, सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि सिर्फ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है? अगर वह दोषी भी है तो भी घर नहीं गिराया जा सकता. हमें रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के सामने गलत ढंग से याचिकाकर्ता मामले को रख रहे हैं. ये कार्रवाई नियमों का पालन करते हुए की गई है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस कार्रवाई से पहले नोटिस बहुत पहले जारी किए गए थे, लेकिन ये लोग पेश नहीं हुए. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि किसी को भी कमियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए. वहीं जस्टिस गवई ने कहा कि अगर निर्माण अनाधिकृत है, तो ऐसे मामलों में भी यह कानून के अनुसार होना चाहिए.
17 सितंबर को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में गाइडलाइन बनाए जाने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करेंगे, जो पूरे देश भर में लागू होगा इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से सुझाव मांगा है. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों का सुझाव आने दीजिए, हम राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करेंगे. इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख तय की गई है.