तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) के खिलाफ जम्मू में ट्रायल चलेगा या नही इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी, 2024 को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यासीन मलिक के अलावा बाकी सह-आरोपियों को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया है. मामले में सुनवाई जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है.
सीबीआई ने पिछली सुनवाई ने यह कहा था
सीबीआई ने याचिका दायर कर मुकदमें को जम्मू-कश्मीर से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है. शीर्ष अदालत जम्मू ट्रायल कोर्ट के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मलिक को निर्देश दिया गया था कि उन्हें राजनेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए शारीरिक रूप से पेश किया जाए.
इस मामले में सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई करने की सुविधा पहले से उपलब्ध है. मलिक को अदालत ले जाने की जरूरत नहीं है. तिहाड़ जेल में कोर्ट लगता है, इससे पहले भी कई मामले की सुनवाई होती रही है. सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मलिक को सुरक्षा कारणों से जम्मू नहीं ले जाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ही जम्मू कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.
हाफिज सईद के साथ मंच साझा कर चुका है यासीन मलिक
एसजी ने कहा था, अगर वह व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर अड़े हैं तो मुकदमा दिल्ली में ट्रांसफर किया जाए. एसजी ने कहा था कि यासीन मलिक सिर्फ एक आतंकवादी नही है. कोर्ट ने एसजी से बताने को कहा था कि मुकदमे में कितने गवाह है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारे देश में अजमल कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई दी गई है. जिसपर एसजी ने कहा था कि सरकार ऐसे मामलों में किताबों के अनुसार नही चल सकती है.
यासीन मलिक ने अक्सर पाकिस्तान की यात्रा की और हाफिज सईद के साथ मंच साझा किया है. कोर्ट ने कहा था कि हां, जेल में एक कोर्ट रूम बनाया जा सकता है और वहां ऐसा किया जा सकता है. एसजी ने कहा था कि गुजरात में तो जेल में भी मुकदमा चला था. जिसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को संशोधित याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है. साथ ही कोर्ट ने एक हफ्ते में इस केस से जुड़े सभी आरोपियों को पार्टी बनाने की अनुमति भी दे दी है.
केंद्रीय गृह सचिव को सॉलिसिटर ने लिखा था पत्र
यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाये जाने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था कि यासीन मलिक आतंकवादी और अलगाववादी पृष्टभूमि वाला यासीन मलिक जैसा व्यक्ति जो कि ना सिर्फ आतंकबादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के मामले में दोषी है, बल्कि जिसके पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध है.
वह भाग सकता था या उसे जबरन अगवा किया जा सकता है या फिर उसकी हत्या की जा सकती थी. उन्होंने कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती तो सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती. बता दें, केंद्रीय गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद की 1989 में हुई अपहरण के मामले में जम्मू की निचली अदालत ने 20 सितंबर 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. उसी उसी दौरान यासीन मलिक अदालत में पेश हुआ था.