विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर दरगाह को महादेव मंदिर घोषित करने को लेकर जमकर बवाल छिड़ा हुआ है. न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश में भी इस विवाद से पारा उबाल पर है. अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर विवादों के बीच भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने प्रतिक्रिया दी है. वे खुद को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज बताते हैं. उन्होंने कहा, कुछ नेता जनता तक गलत संदेश फैला रहे हैं.
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में दरगाह को लेकर कई गुमराह करने वाले बयान सामने आए हैं. दिल्ली में बैठे कुछ नेता गैर-जिम्मेदाराना बातें कर रहे हैं. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जैसे दरगाह के सर्वे का आदेश जारी हो गया हो. लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है.”
VIDEO | “Notices have been issued (by the court) to the Dargah Committee, ASI and Minority Ministry. There is this news surfacing in the media that a survey has been ordered. So, a wrong message is being circulated. I want to clear that no such order has been issued,” says Syed… pic.twitter.com/e8C0j4VFSt
— Press Trust of India (@PTI_News) November 29, 2024
अदालत में अभी है मामला
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने आगे कहा, मामला अभी अदालत में है. उन्होंने बताया, “20 दिसंबर को अदालत इस पर सुनवाई करेगी. संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं. अभी तक केवल यही हुआ है. लेकिन गलत तरीके से प्रचार किया जा रहा है कि सर्वे शुरू होने वाला है. यह जनता को गुमराह करने वाला है.”
संभल की शाही मस्जिद के मामले पर भी दी प्रतिक्रिया
नसीरुद्दीन ने संभल की शाही मस्जिद के मामले पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे पर फिलहाल रोक लगाई है. मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं.” चिश्ती ने यह भी कहा, देश की सभी अदालतों को तब तक धार्मिक स्थलों पर सर्वे के आदेश नहीं देने चाहिए, जब तक सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता. सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने आगे कहा, “चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या दरगाह, ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए.”