मिशनरियों के विरोध, घर वापसी जैसे अभियानों से बौखलाया ‘The Washington Post’, चाहता है जनजातीय समाज को ईसाई बनाने के लिए मिले खुला मैदान

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

झारखंड में जनजातीय समुदाय के लिए काम करने वाले हिन्दू संगठनों पर वाशिंगटन पोस्ट ने धर्मांतरण का आरोप लगाया है. भारत और हिन्दुओं के विरुद्ध लगातार प्रोपेगेंडा करने वाले ‘The Washington Post’ ने अब देश के लोगों के बीच नई खाई पैदा करने की कोशिश की है. वाशिंगटन पोस्ट ने अपने नए हमले में हिन्दुओं और जनजातीय समुदाय को भड़का कर झारखंड में संघर्ष को बढ़ावा देने का प्रयास किया है. दरअसल, शनिवार (1 फरवरी, 2025) को वाशिंगटन पोस्ट ने इसी से सम्बन्धित एक लेख प्रकाशित किया है.

वाशिंगटन पोस्ट ने आरोप जड़ दिया है कि हिन्दू संगठन झारखंड के जनजातीय समुदाय को ‘सनातन धर्म’ में धर्मान्तरित करना चाहते हैं और इसके लिए प्रचार अभियान भी चला रहे हैं. वाशिंगटन पोस्ट ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अन्य हिन्दू संगठन जनजातीय समुदाय को यह विश्वास दिला रहे हैं कि वह भी ‘ वृहत्तर हिन्दू धर्म का हिस्सा है. वाशिंगटन पोस्ट ने आरोप लगाया कि इससे वह इन जनजातियों की पहचान छीन रहे हैं.

वाशिंगटन पोस्ट ने यह दावे तब किए हैं जब झारखंड में ईसाई मिशनरियां तेजी से अपनी घुसपैठ बढ़ा रही हैं और साथ ही कमजोर तबकों के लोगों को इस्लाम में धर्मांतरण के लिए भी प्रयास चल रहे हैं. राज्य में इस बीच बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ी है, इसके चलते जनजातीय समुदाय घटा है. वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, “यहाँ तक कि घने जंगलों में भी, भारत का दक्षिणपंथी हिंदू आंदोलन ऐतिहासिक रूप से सेक्युलर देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने के अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और वह लंबे समय से मुख्यधारा के धर्म से बाहर रहे लाखों जनजातीय लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहा है कि वे भी हिंदू ही हैं.”

अमेरिकी अखबार ने जनजातीय समुदाय की प्रथाओं और उनके रीति रिवाजों को बचाने के लिए हिन्दू संगठनों के प्रयास का मजाक भी उड़ाया है. वाशिंगटन पोस्ट के प्रोपेगेंडा से लगता है कि वह झारखंड में ईसाई मिशनरियों के दुष्प्रचार को जवाब मिलने पर बौखलाया हुआ है.

धर्मांतरण रोकने को ‘मिशनरी अभियान’ बता रहा वाशिंगटन पोस्ट

झारखंड को बिहार से अलग करके बनाया गया था. झारखंड को इस उद्देश्य के साथ बनाया गया था कि यहाँ रहने वाले जनजातीय समुदाय का विकास हो सके। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में रहने वाले 67.8% लोग (बहुमत) हिंदू है. ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के दावों के उलट, यहाँ काम करने वाले हिन्दू संगठन किसी को हिन्दू बनाने नहीं आए हैं, क्योकि यह राज्य पहले से ही हिन्दू बहुल है. बल्कि हिन्दू संगठन यहाँ उन मिशनरियों को रोकने और धर्मांतरण के नेक्सस को तोड़ने के लिए काम कर रहे हैं. हिन्दू संगठन लगातार राज्य में उन संगठनों के खिलाफ भी अभियान चला रहे हैं, जो गरीब जनजातीय जनता को किसी प्रकार का लालच देकर धर्मांतरित करते हैं। बहला फुसला कर ले जाए गए लोगों को वापस रास्ते पर लाने का काम भी हिन्दू संगठन कर रहे हैं.

‘वनवासी कल्याण आश्रम’ और ‘विकास भारती’ को भी बनाया निशाना

वाशिंगटन पोस्ट ने अपने लेख में झारखंड में जनजातीय समुदाय के विकास के लिए काम करने वाली संस्थाओं ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ और ‘विकास भारती’ को भी निशाना बनाया और इन पर झूठ फ़ैलाने की कोशिश की. वाशिंगटन पोस्ट ने आरोप लगाया कि विकास भारत संगठन जनजातीय समुदाय को प्रकृति पूजक, हिन्दू और ईसाई में बाँट रहा है. वाशिंगटन पोस्ट ने विकास भारत द्वारा शिवरात्रि पर आयोजित किए गए एक कार्यक्रम को भी निशाना बनाया. इस कार्यक्रम में स्थानीय जनजातीय समुदाय को भी शामिल किया गया था. वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया कि यह कार्यक्रम प्रकृति पूजकों को हिन्दू धर्म में लाने का एक प्रयास था.

वाशिंगटन पोस्ट ने झारखंड में जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए काम करने वाले ‘वनवासी कल्याण आश्रम को भी निशाना बनाया और दावा किया कि यह धर्मांतरण के लिए काम करता है. वाशिंगटन पोस्ट ने कहा, वनवासी कल्याण आश्रम कथित तौर पर ‘हिन्दू धर्म’ से अलग रहे जनजातीय समुदाय को हिन्दू बना रहा है.

सरना कोड के सहारे विवाद का प्रयास

वाशिंगटन पोस्ट ने हिंदुओं और ‘प्रकृति पूजकों’ के बीच और अधिक खाई पैदा करने के लिए ‘सरना कोड का मुद्दा उठाया और इसे RSS के लिए नया विवाद’ और ‘चुनौती’ बताया। वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया, “छत्तीसगढ़ के जशपुर और बिशुनपुर में हिन्दू संगठन के लिए काम करने वाले जनजातीय लोग भी अलग धार्मिक पहचान सरना कोड की वकालत कर रहे हैं.” वाशिंगटन पोस्ट ने ‘वनवासी कल्याण आश्रम के साथ काम करने वाली एक ‘प्रकृति पूजक’ जनजातीय नर्स का उदाहरण दिया. वाशिंगटन पोस्ट के साथ बातचीत में कथित तौर पर नर्स ने आरोप लगाया कि उसे खुद को हिन्दू बताने पर मजबूर किया जा रहा है जबकि वह ‘सरना धर्म मानती है.

अपने इस प्रोपेगेंडा लेख में वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया कि हिन्दू सरना कोड इस लिए नहीं चाहते क्योंकि इससे जनजातियों के विदेशी मिशनरियों से खतरे की बात कमजोर होती है. हालाँकि, यह बात सच ही है क्योंकि ईसाई मिशनरियों को जनजातीय और गरीब तबकों में ज्यादा सफलता मिली है.

सरना कोड का मामला

भारत का क़ानून हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन जैसे 6 धार्मिक समुदायों को मान्यता देता है. कॉन्ग्रेस-JMM सरकार ने ने इसके अतिरिक्त सरना धर्म के लिए भी धार्मिक संहिता लागू करने का वादा किया है. नवम्बर, 2020 में झारखंड की INDI गठबंधन सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव विधानसभा से पारित करवाया था. इसको भाजपा ने भी समर्थन दिया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखा था. भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में सरना संहिता पर विचार करने का वादा किया था. झारखंड भाजपा चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने कई मौकों पर इस रुख को दोहराया.

सरना कोड जनजातीय समुदाय समाज को एक अलग धार्मिक समूह के रूप में मान्यता देता है. भाजपा इसका सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करती. भाजपा ने सार्वजनिक रूप से इसका विरोध नहीं किया है, लेकिन RSS जनजातीय समाज हिंदू धर्म का हिस्सा मानता है. RSS वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठनों के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में इसी मान्यता के साथ काम करता है. RSS से जुड़े आदिवासी सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय समन्वयक (बिहार-झारखंड) संदीप उरांव का दावा है कि सरना कोड लागू करने से विभिन्न स्तरों पर कई समस्याएं पैदा होंगी.

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