आज की पर्यावरण के प्रति चिंता, सुनहरे भविष्य की ओर कदम; डॉ. दिनेश शर्मा

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद डा. दिनेश शर्मा ने आज “मेरा आंगन मेरी हरियाली” विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित किया. इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को किचन वेस्ट से खाद बनाना एवं रूप टॉप गार्डनिंग के प्रति जागरूक करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना है. इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि छात्र पर्यावरण के प्रति जिस प्रकार से चिंतित है उससे भविष्य में बेहतर पर्यावरण संतुलन स्थापित करने की आशा की जा सकती है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक विद्यालय में डा. दिनेश शर्मा ने “मेरा आंगन मेरी हरियाली” विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में छात्रों को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हम लोगों ने तय किया है कि रसोई का बेकार खाद्य पदार्थ जहरीली गैस मे परिवर्तित नही करेंगे. खाद स्वयं बनाएंगे तथा अपनी छत या छज्जे पर पौधों को लगाएंगे. वृक्ष वास्तव में आक्सीजन का सिलेन्डर हैं तथा इनसे जो आक्सीजन मिलता है उससे हम स्वस्थ वातावरण में रह सकते हैं.

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि अधिक वृक्षावली के कारण पहले गोमती नगर का तापमान लखनऊ से कम रहता था. बाद में यहां वृक्ष कट गए और ऊंची ऊंची इमारतें बन गईं तो यहां का तापमान लखनऊ के तापमान से अधिक रहने लगा. सरकार द्वारा तेजी से वृक्षारोपण कराने का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. उन्होंने बताया कि उन्हें खुशी है कि नगर निगम नगर के कचरे से खाद बना रहा है. इसके विपरीत दिल्ली मे कूड़े के पहाड़ से बनते जा रहे हैं जिनका आसपास के लोगों के स्वास्थ्य में विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. लोगों के वहां पर कैंसर हो रहा है.

इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि वे जब महापौर थे उस समय सघन वृक्षारोपण का कार्यक्रम चला था. उस समय स्कूलों के प्रबंधकों ने उनसे कहा था कि यदि उन्हें 2 लाख पौधे वे दे दें तो वे स्कूल के बच्चों तथा अन्य लोगों से इन्हें लगवाएंगे. उनकी सोच थी कि अगर बच्चे के अन्दर बचपन से ही पौधे के प्रति प्रेम जग जाएगा तो भविष्य में बेहतर पर्यावरण की उम्मीद की जा सकती है.

सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा शुरू किये गए स्वच्छता अभियान का असर यह हुआ कि आज बच्चे अपने माता पिता को गुटका खाकर सड़क पर थूकने से रोकते हैं. वृक्षारोपण के लिए बच्चों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि आप लोग अपने दादा या किसी अन्य के नाम अपने घर के आसपास न केवल पौध लगाएं बल्कि उसकी नियमित सिंचाई करें. इससे जब पौधा वृक्ष का आकार लेगा तो आपके दादाजी की स्मृतिया उसे देखकर ताजी हो जाया करेंगी. घर घर खाद बनाने का अभियान माॅरीशश और इजरायल में बहुत अधिक है. लंदन में तो सड़क पर कूड़ा नही दिखाई देता है क्योंकि घर पर ही खाद बन जाता है और घर पर ही अच्छे पर्यावरण का संतुलन हो जाता है. पीजीआई लखनऊ का उधार देते हैं उन्होंने कहा की यहां पर अधिक वृक्षारोपण के कारण वहां का तापमान लखनऊ के अन्य स्थानों के तापमान से कम रहता है.

इस संगोष्ठी में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने तो पर्यावरण को धर्म से जोड़ा था और कहते थे कि पीपल के पेड़ में ब्रह्मदेव बाबा रहते हैं. उनके कहने का उद्देश्य यह था कि पीपल हमें आक्सीजन देता है. बरगद के पेड़ में माताएं धागा बांध्ंाती हैं इससे वे अपनी रक्षा की अपेक्षा करती हैं जब कि वास्तव में बरगद भी हमे बहुत अधिक आक्सीजन देता है. जल, जंगल और जानवर के पूर्वजों द्वारा बनाए गए संतुलन से उस समय बेहतर जीवन होता था.

आज मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर उन्हें श्रद्धांजिल देते हुए डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि वे ऐसे उद्योगपति थे जो बच्चों को सबसे अधिक महत्व देते थे. उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि वह घर में जाकर पहले स्वयं पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए खुद काम करें उसके बाद पड़ोसियों से वैसा करने को कहें. उन्होंने बच्चों से अपनी रसोई से बेकार हुए पदार्थ से स्वयं खाद बनाने के लिए सलाह दी और कहा कि इसे बनाकर यदि वे अपने मोबाइल में डालेंगे तो लोग उनकी प्रशंसा करेंगे.

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