UPSC की नई अध्यक्ष बनी रिटायर्ड IAS प्रीति सूदन, हरियाणा से है कनेक्शन

Raginee Rai
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Preeti Sudan UPSC New Chairperson: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को आज अपना नया अध्‍यक्ष मिल गया है. रिटायर्ड सीनियर आईएएस प्रीति सूदन यूपीएससी की नई चेयरपर्सन बनी हैं. यूपीएससी के अध्‍यक्ष रहे मनोज सोनी द्वारा एक महीने पहले इस्‍तीफा देने के बाद प्रीति सूदन की नियुक्ति की गई है. प्रीति सूदन 1 अगस्‍त से कार्यभार संभालेंगी. बता दें कि प्रीति सूदन जुलाई 2020 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव पद से सेवानिवृत्‍त हैं. आइए जानते हैं कि यूपीएससी की नई अध्‍यक्ष प्र‍ीति सूदन के बारे में…

हरियाणा की रहने वाली हैं प्रीति सूदन

हरियाणा की रहने वाली प्रीति सूदर आंध्र प्रदेश कैडर 1983 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. उनके पास प्रशासनिक कार्यों का करीब 37 साल का अनुभव है. उनकी नियुक्ति अनुच्छेद 316 ए के तहत की गई है. वह यूपीएससी अध्यक्ष पद अप्रैल 2025 तक संभालेंगी. प्रीति सूदन साल 2022 में यूपीएससी से जुड़ी थीं. यूपीएससी के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने कई महत्‍वपूर्ण फैसलों में सही राय दी है. उनके काम को देखते हुए अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया.

कहां से की है पढ़ाई?

रिटायर्ड प्रीति सूदन ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एम.फिल और सामाजिक नीति एवं नियोजन में एमएससी की डिग्री प्राप्‍त की है. आंध्र प्रदेश कैडर की 1983 बैच की आईएएस अधिकारी सूदन जुलाई 2020 में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के पद से रिटायर्ड हुईं. प्रीति सूदन ना सिर्फ यूपीएससी, बल्कि महिला एवं बाल विकास और रक्षा मंत्रालय के अलावा खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव के तौर पर भी काम कर चुकी हैं.

इन योजनाओं में रही अहम भूमिका

आंध्र प्रदेश में अपने कार्यकाल के दौरान वित्त और योजना, आपदा प्रबंधन, पर्यटन और कृषि सहित कई विभागों की प्रमुख रही. उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आयुष्मान भारत योजना में अहम भूमिका निभाई. वहीं ई-सिगरेट पर रोक लगाने भी उनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका रही. उन्होंने वर्ल्‍ड बैंक में सलाहकार के तौर पर भी काम किया है.

कैसे होती है UPSC अध्‍यक्ष की नियुक्ति

यूपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति सीधे राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. यह नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 316(1) के तहत की जाती है. सदस्य के रूप में कम से कम आधे सदस्य किसी लोक सेवा के सदस्य (कार्यरत या अवकाशप्राप्त) होते हैं, जिन्हें भारत या राज्य की सरकार के तहत कम से कम 10 साल का अनुभव होता है. अनुच्छेद 317 के तहत यूपीएससी के चेयरमैन और अन्य सदस्यों को केवल राष्ट्रपति ही उनके पद से हटा सकते हैं. बता दें यूपीएससी के सदस्य अपने पद ग्रहण की तारीख से 6 साल तक या 65 साल की आयु प्राप्त कर लेने तक (जो भी पहले हो) अपने पद पर कार्य करते हैं. राज्य आयोग या संयुक्त आयोग के सदस्यों के लिए आयु सीमा 62 साल निर्धारित है.

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