UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में कल यानी मंगलवार से 4 दिनों का विशेष विधानसभा सत्र चलेगा. इस दौरान समान नागरिक संहिता विधेयक को पेश किया जाएगा. इसको पहले ही कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. इस बात की जानकारी राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी. दरअसल, पिछले काफी समय से राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी की जा रही थी. इसके लिए राज्य सरकार ने मई 2022 में 5 सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने 2 फरवरी को अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंप दिया था.
इसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस ड्राफ्ट कमेटी को विशेष सत्र बुलाकर विधानसभा में पेश किया जाएगा. 6 फरवरी से 9 फरवरी तक उत्तराखंड विधानसभा में विशेष सत्र का आयोजन किया जा रहा है.
इस विशेष सत्र से पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता की लंबे समय से सबको प्रतीक्षा थी. बहुत जल्द सबकी प्रतीक्षा समाप्त हो रही है, कल हम इसे विधानसभा में पेश करेंगे और आगे इसपर चर्चा होगी. मेरा अन्य दलों के साथियों से भी अनुरोध है. इस चर्चा में सकारात्मक रूप से भाग लें.
#WATCH देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "…समान नागरिक संहिता की लंबे समय से सबको प्रतीक्षा थी… बहुत जल्द सबकी प्रतीक्षा समाप्त हो रही है, कल हम इसे विधानसभा में पेश करेंगे और आगे इसपर चर्चा होगी। मेरा अन्य दलों के साथियों से भी अनुरोध है… इस चर्चा… pic.twitter.com/FRnWxKHGcJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 5, 2024
समिति ने दी है अपनी रिपोर्ट
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद 27 मई 2022 को 5 सदस्य की कमेटी का गठन किया गया था. उनसे इस कानून पर ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था. समिति ने फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट देने में पूरे एक साल आठ महीने का समय लिया है. इस कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजन प्रकाश देसाई है. वहीं, अन्य सदस्य रिटायर्ड जज प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ (टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत के प्रमुख), सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल हैं. कमिटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंप दी थी.
जानकारी के अनुसार यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट को लगभग 750 पन्नो में तैयार किया गया है. वहीं, इस रिपोर्ट को हिंदी भाषा में लिखा गया है, इस रिपोर्ट में कमेटी ने तीन तलाक और निकाह हलाला पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाने और ट्राइबल कम्युनिटी को यूसीसी के दायरे से बाहर रखने का सुझाव दिया है.
जानिए क्या होता है यूसीसी
दरअसल, समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) एक तरीके का कानून है. इसके तहत राज्य में सभी लोगों को एक कानून को मानना होता है. वर्तमान में देश में कानून धर्मों के हिसाब से हैं. ऐसे में अगर ये कानून लागू होता है तो सभी धर्मों के लिए एक नियम हो जायेगा.
जानकारी दें कि यूसीसी संविधान में राज्य के गैर-न्यायसंगत नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है. साल 2022 के मई फरवरी महीने में राज्य विधानसभा चुनावों से पहले, मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार का पहला निर्णय होगा.
बता दें कि यूसीसी, सैद्धांतिक रूप से, सभी समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, वित्तीय मुआवजे और गोद लेने के लिए समान नियमों को लागू करेगा, हालांकि विशेषज्ञों को इस बात का भी डर है कि यह आदिवासियों जैसे विशेष समुदायों के रीति-रिवाजों और परंपराओं को खत्म कर सकता है.
देश का पहला यूसीसी वाला राज्य बनेगा उत्तराखंड
जानकारी दें कि अगर उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू होता है ये देश का पहला राज्य होगा जहां ये कानून होगा. इससे पहले गोवा में यूसीसी लागू है. हालांकि वह कानून आजादी के बाद लागू नहीं किया गया था. लगभग 150 सालों पहले गोवा में पोर्तगीस के शासन में पोर्तुगी सिविल कोड 1867(PCC) को लागू किया था, जो 1961 में गोवा के आज़ाद होने के बाद वहां के फॅमिली लॉ में बना रहा.
इस बिल की कुछ विशेषताएं
आइए आपको बताते हैं, इस बिल से जुड़ी कुछ मुख्य बातें…
- बिल में बेटे और बेटी को समान अधिकार देने की बात. यानी बेटे और बेटी दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित करता है, चाहे उनकी श्रेणी या केटेगरी कुछ भी हो.
- जायज और नाजायज बच्चों के बीच में भेद खत्म करने का उद्देश्य. इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में जायज और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को समाप्त करना है.
- गोद लिए गए बच्चे और बायोलॉजिकल रूप से जन्मे बच्चों के बीच समानता लाना.
- मृत्यु के बाद समान संपत्ति का अधिकार, यानी इस विधेयक के आने के बाद पति/पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार मिल सकेगा. इससे पहले के कानून में सिर्फ मां को मृतक की संपत्ति पर अधिकार मिलता था.
भाजपा ने प्राथमिकता से कानून पर की बात
उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने हमेशा से अपने घोषणा पत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किया था. साल 2014 के आम लोकसभा चुनाव से पहले जारी किए गए अपने घोषणा पत्र में बीजेपी ने इसे देश में लागू करने की बात कही थी. बीजेपी ने यह वादा किया था कि कोई भी पर्सनल लॉज़ चाहे वह किसी भी धर्म के हो जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेना आदि पर यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे. वहीं, 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही थी.
यह भी पढ़ें: