सुरंग में फंसे मजदूरों को पहले क्यों ले जाया जाएगा अस्पताल, क्यों आखों पर बांधी जाएगी पट्टी, जानिए वजह

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तरकाशी जनपद के निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर पिछले 16 दिन से फंसे हैं. पिछले 16 दिनों से लगातार रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है. इस बीच मौसम इस बचाव अभियान में परेशानी खड़ा कर रहा है. मजदूरों को निकालने के लिए समतल के साथ वर्टिकल ड्रिलिंग का भी काम साथ में किया जा रहा है. रैट माइनर्स मुस्तैदी के साथ अपना काम कर रहे हैं. इस बीच मजदूरों के परिजनों को सूचना दी गई है कि वो कपड़े और बैग लेकर आएं. मजदूरों के लिए एंबुलेंस को मौके पर खड़ा किया है. इतना ही नहीं ग्रीन कॉरिडोर बनाने का काम किया जा रहा है.

इन सब के बीच ये सवाल सभी के मन में उठ रहा है कि आखिर मजदूरों को घर भेजने की बजाय अस्पताल में क्यों ले जाया जाएगा. वहीं, चिकित्सकों की सलाह पर सभी मजदूरों का चेहरा बाहर आने के दौरान ढक कर रखा जाएगा. आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों किया जाएगा.

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क्यों पहले अस्पताल जाएंगे मजदूर
जानकारी दें कि मजदूरों के बाहर आने के साथ ही सबसे पहले उनके वाइटल पैरामीटर्स की जांच की जाएगी. अस्पताल में श्रमिकों की बीपी, हार्ट बीट, सुगर के स्तर को परखा जाएगा. उस बात की भी जांच की जाएगी कि किसी मजदूर को हाइपरटेंशन तो नहीं है. दरअसल, इतने दिनों से फंसे होने के कारण उनके भीतर एंजाइटी का स्तर बढ़ सकता है. अगर किसी मजदूर में एंजाइटी का स्तर बढ़ा हुआ होगा तो उसे पहले कम करने का काम किया जाएगा.

क्यों चेहरा ढक कर रखा जाएगा
दरअसल, आपने अनुभव किया होगा कि अगर कुछ देर के लिए आप आंखों को बंद रखते हैं और उसके बाद उजाले में आते हैं तो पकी आंख से कुछ साफ नहीं दिखता है. आंखों को सामान्य होने में कुछ समय लगता है. ऐसे में पिछले 16 दिनों से ये मजदूर सुरंग के भीतर फंसे हैं. वहां पर रौशनी का पहुंचना लगभग ना के बराबर है. ऐसे में अगर वो अचानक बाहर आकर आंखों को खोलते हैं तो आखों में परेशानी आ सकती है. और उनको सामान्य दिखने में परेशानियो का सामना करना पड़ेगा. इस स्थिति में पहले उनके आंखों ढक कर रखना होगा और धीरे धीरे प्राकृतिक रौशनी से सामंजस्य बैठाना होगा.

मनोवैज्ञानिक समस्या से भी जूझेंगे मजदूर?
16 दिनों से सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों के भीतर मनोवैज्ञानिक समस्या आना सामान्य बात है. इसको लेकर मनोचिकित्सकों का कहना है कि टनल में फंसे होने की वजह से उनके काफी मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा है. ऐसे में उन्होंने वहां पर 16 दिनों तक जीवन जिया है जहां पर जीने की संभावना नगण्य है. इस स्थिति में मौत की बात सताना सामान्य है. इस वजह से वो कई प्रकार के अवसाद का सामना कर सकते हैं. इसे पैनिक एंजाइटी डिस्ऑर्डर कहते हैं. इसकी भी समस्या मजदूरों को हो सकती है.

कितना काम बाकी
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी की मानें तो रेस्क्यू काम लगभग पूरा हो गया है. इस बीच मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है 28 नवंबर को उत्तरकाशी, चमोली समेत कई हिस्सों में बारिश और बर्फाबारी हो सकती है. वहीं, आज सुबह से ही उत्तरकाशी के विभिन्न हिस्सों में जबारिश हो रही है. हालांकि राहत की बात ये है कि आज रात तक ड्रिलिंग का काम पूरा हो सकता है. अब मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच सिर्फ 5 मीटर का ही फासला बचा है.

मैनुअल ड्रिलिंग का काम बाकी
आपको बता दें कि टनल में अब केवल 5 मीटर मैनुअल ड्रिलिंग काम बाकी है, इसके पूरा होती ही सुरंग में फंसे 41 मजदूरों तक पाइप को पहुंचाया जा सकेगा. इस पाइप के सहारे मजदूरों को एनडीआरएफ की टीम बाहर निकालेगी. जानकारी दें कि टनल के बाहर एंबुलेंस की तैनाती कर दी गई है. मजदूरों के परिवारों को भी तैयार रहने को कहा गया है. मजदूरों के लिए अस्पतालों को तैयार रखा गया है.

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