Waqf Amendment Act: वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, सीजीआई बेंच सुनेगी दलील

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Waqf Amendment Act: शीर्ष अदालत आज 16 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) पर सुनवाई करेगी. सीजीआई की अगुवाई वाली पीठ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं की दलीलें सुनेगी.

दोपहर दो बजे से होगी सुनवाई

शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर जारी वाद सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच (जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथ शामिल हैं) इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को दोपहर दो बजे से करेगी. वक्फ अधिनियम, 1995 में हाल ही में किए गए संशोधनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं. वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है.

क्या होता है कैविएट

कैविएट एक ऐसा नोटिस होता है जिसे मुकदमे के पक्षकार द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है, जो चाहता है कि विरोधी पक्ष की याचिका पर किसी स्थगन आदेश जारी होने की स्थिति में उसकी बात सुनी जाए. साथ ही, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और उत्तराखंड सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

बिल के पास होने से मुसलमानों को फायदा

इस बिल के संसद द्वारा अप्रैल के पहले हफ्ते में पास होने के बाद, कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया था कि वह इस वक्फ बिल (अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह वक्फ कानून बन गया है) के सामने चैलेंज करेगी. उस समय कांग्रेस ने कहा था कि धर्म के आधार पर देश में ध्रुवीकरण करने और बांटने के लिए यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है. इसके जवाब में, केंद्र सरकार ने कहा था कि इस बिल के पास होने के बाद करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा होगा और किसी भी मुसलमान को इससे नुकसान नहीं पहुंचेगा. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया कि यह कानून वक्फ की संपत्तियों में कोई दखलंदाजी नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ का विजन लेकर काम कर रही है.

मोहम्मद जावेद ने क्या दिया तर्क

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी व्हिप मोहम्मद जावेद ने शीर्ष न्यायालय में दायर अपनी याचिका में तर्क दिया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 26 (धार्मिक संप्रदायों को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता का अधिकार) अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकार) और अनुच्छेद 300-ए का उल्लंघन करता है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कही ये बात

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर एक अन्य याचिका में कहा गया कि यह संशोधन कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30, 300-ए का स्पष्ट उल्लंघन करते हैं और स्पष्ट रूप से मनमाना हैं. एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, आप नेता अमानतुल्लाह खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, तैय्यब खान सलमानी और अंजुम कादरी समेत कई अन्य लोगों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की हैं.

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