What is White Paper: संसद का बजट सत्र एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है. अब सत्र का समापन 9 फरवरी की जगह 10 फरवरी को होगा. 10 फरवरी को सरकार द्वारा श्वेत पत्र लाने की तैयारी है. इस श्वेत पत्र में सरकार अपने कार्यकाल के आर्थिक विकास के बारे में जानकारी देगी. वहीं, श्वेत पत्र के जरिए सरकार UPA शासन के 10 सालों के भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में बताएगी. बता दें कि श्वेत पत्र को लेकर संसद में निर्मला सीतारमण ने बयान दिया था.
श्वेत पत्र लाएगी सरकार
जानकारी दें कि वर्तमान की एनडीेए सरकार 8 फरवरी को श्वेत पत्र लेकर आएगी. श्वेत पत्र में सरकार यह बताएगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत 2014 से पहले क्या थी और फिर NDA ने कौन-कौन से कदम उठाकर उसे कैसे दुरुस्त किया.
1 फरवरी को बजट के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 में जब हमारी सरकार ने बागडोर संभाली थी, तब अर्थव्यवस्था को चरण-दर-चरण दुरुस्त करने और शासन प्रणाली को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी. उन्होंने कहा कि उस वक्त की मांग थी कि लोगों की उम्मीदें जगें, निवेश आकर्षित किया जाए और अति आवश्यक सुधार के लिए समर्थन जुटाया जाए. सरकार ने ‘राष्ट्र प्रथम’ के मजबूत विश्वास के साथ इसे सफलतापूर्वक हासिल किया.
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जानिए क्या होता है श्वेत पत्र?
जानकारी के अनुसार श्वेत पत्र एक तरह का आधिकारिक बयान होता है, जो सरकार द्वारा संसद की पटल पर पेश किया जाता है. दरअसल, विपक्ष उस दौरान श्वेत पत्र की मांग करता है, जब उसे लगता है सरकार किसी मुद्दे पर पूरी बात नहीं बता रही. अमूमन कहा जाता है कि सरकार श्वेत पत्र में झूठ नहीं बोलती है. हालांकि श्वेत पत्र का कोई वैधानिक महत्व नहीं है.
दरअसल, राजनीतिक जानकार लोकसभा चुनाव 2024 को एकतरफा मुकाबला के तौर पर देख रहे हैं. दो बार से केंद्र की सत्ता पर काबिज एनडीए की सरकार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. यही वजह है कि वित्त मंत्री ने अपने भाषण के दौरान कोई भी लोकलुभावन वादे नहीं किए हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह ‘जुलाई में विकसित भारत का विस्तृत रोडमैप’ पेश करेंगी. यानी बीजेपी को पूरा यकीन है कि बीजेपी की सरकार एक बार फिर से बनने जा रही है और इसके बाद वह पूर्ण बजट पेश करेंगी.
गौरतलब है कि देश के नागरिकों ने एक ऐसा भी समय देखा था जब भारत को ‘नाजुक पांच अर्थव्यवस्थाओं’ में गिना जाता था. आज दुनिया के सामने सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. देश का बैंकिंग सेक्टर मजबूत स्थिति में है. देश में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. जब दुनिया की अर्थ व्यवस्था काफी धीमी रफ्तार में है. ठीक इसके इतर भारतीय अर्थव्यवस्था के 7% से ज्यादा की स्पीड से बढ़ने की उम्मीद है. अनुमान है कि 2030 तक भारत 7 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है.