Bharat Ratn to Dr. MS Swaminathan: केंद्र सरकार ने आज तीन लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान किया. पीएम मोदी ने आज अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस बात की जानकारी दी. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एम.एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की बात कही. दो प्रधानमंत्रियों के साथ एक महान कृषि वैज्ञानिक को भारत रत्न दिया जाना एक सुखद खबर है. आइए आपको इस ऑर्टिकल में बताते हैं कि कौन थे कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन.
जानकारी दें कि महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा था. 2023 में उनकी मृत्यु 28 सितंबर को हुई थी. आज पीएम मोदी ने कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया. इससे पहले एमएस स्वामीनाथन को पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानि किया जा चुका है. एमएस स्वामीनाथन को लोग प्यार से ग्रेन गुरु कहा करते थे.
पीएम मोदी ने किया भारत रत्न देने का ऐलान
आपको बता दें कि पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है. उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए. हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं. डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है. वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था.”
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कौन थे डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन?
आपको बता दें कि एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ था. मूल रूप से वह तमिलनाडु के कुंभकोणम के रहने वाले थे. शुरुआती शिक्षा उनकी वहीं से शुरू थी. एमएस स्वामीनाथन के पिता डॉक्टर थे और उनकी मां पार्वती थंगम्मल थीं. जब एमएस स्वामीनाथनन 11 साल के ही थे, उस दौरान ही उनके पिता की मौत हो गई थी. स्वामीनाथन ने अपनी स्नातक की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज और बाद में कोयंबटूर के कृषि कॉलेज (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से कृषि विज्ञान (आनुवांशिकी और पादप प्रजनन में विशेषज्ञता) में एमएससी और साल 1952 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, यूके से पीएचडी की
पहली बार एमएसपी लाया
बता दें कि साल 2004 में कांग्रेस शासन के दौरान किसानों की स्थिति जानने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था, इस आयोग का नाम नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स (NCF) था. आयोग के प्रमुख के तौर पर एमएस स्वामीनाथन थे. 2004 में बने आयोग ने दो सालों में 5 रिपोर्ट सरकार को सौंपी. इसी रिपोर्ट के स्वामीनाथन रिपोर्ट के तौर पर भी जाना जाता है. इस रिपोर्ट में किसानों को लेकर कई सुझाव दिए गए थे. रिपोर्ट में सबसे बड़ा और चर्चित सुझाव MSP का था. रिपोर्ट में कहा गया था कि किसानों को फसल की लागत का 50 फीसद लाभ मिलाकर MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिलना चाहिए.
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