MP Ritesh Pandey joined BJP: उत्तर प्रदेश की अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से सांसद रितेश पांडे ने रविवार (25 फरवरी) को बसपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया. यूपी के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस्तीफे के बाद उन्होंने बसपा पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. बता दें, रितेश पांडेय उन 9 सांसदों में शामिल थे, जिन्होंने पीएम मोदी के साथ बजट सत्र के दौरान संसद की कैंटीन में लंच किया था. बता दें, रितेश के पिता राकेश पांडेय समाजवादी पार्टी से विधायक हैं.
गौरतलब है कि रितेश पांडेय ने आज सुबह ही बसपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था. उन्होंने अपने इस्तीफे में पार्टी के पदाधिकारियों और बसपा सुप्रीमो से मिले समर्थन के लिए धन्यवाद दिया था. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया था कि लंबे समय से पार्टी में मुझे इग्नोर किया जा रहा है. ना ही किसी प्रकार का संवाद किया जा रहा है. इस दौरान मैंने आपसे बात करने की कई बार कोशिश भी की, लेकिन मैं आपसे मिल नहीं पाया.
समर्थन के लिए पार्टी का आभार
सांसद रितेश पांडे ने मायावती के नाम एक्स पर पोस्ट कर कहा- जब मैंने बसपा ज्वॉइन की तब आपका और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों का सहयोग मुझे मिला. पार्टी ने मुझे विधानसभा और संसद में प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया. इसके लिए मैं पार्टी सुप्रीमो, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का गहराई से आभार व्यक्त करता हूं.
BSP MP Ritesh Pandey joins BJP in the presence of Uttar Pradesh Deputy CM Brajesh Pathak and other BJP leaders.
Ritesh Pandey tendered his resignation from BSP earlier today. He was a Lok Sabha MP from Ambedkar Nagar, Uttar Pradesh. pic.twitter.com/zfXDNshwQE
— ANI (@ANI) February 25, 2024
मायावती ने पोस्ट कर साधा निशाना
हालांकि, रितेश पांडेय के इस्तीफे की पोस्ट के बाद मायवती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर बिना नाम लिए रितेश पांडेय पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, बसपा के सांसदों को अपने आप को इस कसौटी पर कसना होगा कि क्या वे जनता का सही से ध्यान रख पाए हैं? क्या उन्होंने अपने क्षेत्र में पूरा समय दिया है? क्या उन्होंने पार्टी मूवमेंट में सही दिशा-निर्देशों का पालन किया है? बीएसपी में पार्टी का हित सर्वोपरि होता है.
2. अब बीएसपी के सांसदों को इस कसौटी पर खरा उतरने के साथ ही स्वंय जाँचना है कि क्या उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता का सही ध्यान रखा? क्या अपने क्षेत्र में पूरा समय दिया? साथ ही, क्या उन्होंने पार्टी व मूवमेन्ट के हित में समय-समय पर दिये गये दिशा-निर्देशों का सही से पालन किया है?
— Mayawati (@Mayawati) February 25, 2024
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