CM Mohan Yadav Night Stay in Ujjain: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में राजनीतिक पदों पर आसीन मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक आते हैं. लेकिन आज तक महाकाल का दर्शन करने के बाद कोई भी बड़ा नेता यहां रात नहीं गुजारता है. ऐसा मिथक है कि जो भी नेता यहां रात्रि विश्राम करता है, उसकी सत्ता में वापसी नहीं हो पाती है. हालांकि, इस मिथक को प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तोड़ते हुए महाकाल की नगरी में रात्रि विश्राम किया.
जानिए क्या है मान्यता
दरअसल, बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन को लेकर ऐसी मान्यता चली आ रही है कि उज्जैन के राजा महाकाल हैं और एक नगर में दो राजा नहीं रह सकते. यदि कोई मंत्री या मुख्यमंत्री यहां रात गुजारता है तो उसके सत्ता वापसी की राह मुश्किल हो जाती है. हालांकि, प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृह जिला भी उज्जैन है और वे उज्जैन दक्षिणी से विधायक भी हैं. ऐसे में सीएम मोहन यादव ने इस मिथक को तोड़ते हुए यहां रात्रि विश्राम किया. आइए जानते हैं यहां रात्रि में रुकने को लेकर क्या कुछ बोले मुख्यमंत्री मोहन यादव…
जानिए क्या बोले सीएम मोहन यादव
मोहन यादव ने महाकाल की नगरी मेें रात्रि विश्राम को लेकर कहा ‘‘मैं भगवान महाकाल का बेटा हूं, मैं यहां रुक सकता हूं. वहीं, पुराने मिथक को लेकर कहा कि यह परंपरा शाही सिंधिया परिवार के लोगों की एक युक्ति हो सकती है. किसी कारण से (सिंधिया राजघराने की) राजधानी 1812 में उज्जैन से ग्वालियर स्थानांतरित कर दी गई थी. उन्होंने यह किंवदंती छोड़ दी थी कि कोई भी राजा यहां रात में नहीं रुकता है. ऐसा इसलिए था ताकि कोई भी इस क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए यहां न आए. यह उनकी राजनीतिक रणनीति थी. भगवान महाकाल सभी के राजा हैं और हम उनकी संतान हैं. क्या भगवान महाकाल केवल नगर निगम सीमा के भीतर ही दिव्य शक्तियों का प्रयोग करेंगे? यदि वह चाहें तो पूरे ब्रह्मांड में कोई बच नहीं सकता है.’’
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जानिए कब से है यह मान्यता
आपको बता दें कि अवंतिका नगरी उज्जैन राजा विक्रमादित्य के समय राज्य की राजधानी थी. मंदिर से जुड़े रहस्य और सिंहासन बत्तीसी के मुताबिक राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता है.