India Vs Bharat Row: देश का नाम भारत और इंडिया को लेकर सियासी संग्राम कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस विवाद की शुरुआत G20 शिखर सम्मेलन के उस निमंत्रण पत्र से हुई जिसमे प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ (President of India) के बजाय ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा हुआ था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस मामले पर सवाल खड़ा कर दिया और कह दिया कि देश का नाम बदलने की कोशिश की जा रही है. इस मुद्दे पर तमाम विपक्षी दलों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी.
उधर विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी की केंद्र सरकार गठबंधन के नाम से डर गई है, जिस वजह से वो देश का ही नाम बदने के बारे में सोच रहे हैं. इस बीच अब इस मामले में में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी बयान सामने आया है. जिसमे कांग्रेस से भी एक कदम आगे निकलते हुए उन्होंनें बीजेपी को ही अपना नाम बदलने की सलाह दे डाली. अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले में बकायदा ट्वीट किया है.
अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया
सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने भारत बनाम इंडिया के मामले में बकाया अपने एक्स प्रोफाइल पर लिखा, “वैसे तो भाषाओं का मिलन और परस्पर प्रयोग बड़ी सोच के लोगों के बीच मानवता और सौहार्द के विकास का प्रतीक माना जाता है फिर भी अगर संकीर्ण सोचवाली भाजपा और उसके संगी-साथी किसी भाषा के शब्द को गुलामी का प्रतीक मानकर बदलना ही चाहते हैं तब तो सबसे पहले भाजपा को भी अपना एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए और अपने नाम में से अंग्रेज़ी का शब्द ‘पार्टी’ हटाकर स्वदेशी परंपरा का शब्द ‘दल’ लगाकर अपना नाम भाजपा से भाजद कर देना चाहिए.”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी किया विरोध
अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामीप्रसाद मौर्य ने भी इस मामले में टिप्पणी की है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “हिंदू राष्ट्र की मांग कर देश के बंटवारे का बीज बोने वाले RSS एवं BJP को अचानक भारत प्रेम कैसे जग गया, यदि भारत से ही प्रेम हैं तो हिंदू राष्ट्र की मांग क्यों? India का विरोध करने वाले शायद यह नहीं जानते कि India भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 अंतर्गत India that is Bharat संविधान का मुख्य हिस्सा है इसलिए india का विरोध जहाँ एक ओर भारतीय संविधान का विरोध हैं, वहीं दूसरी तरफ भारतीय संविधान निर्माता, भारत रत्न बाबा साहेब, डॉ. भीमराव अम्बेडकर का भी विरोध है.”
उन्होंने आगे लिखा, “यद्यपी की दलितों का वोट लेने के लिए RSS व BJP के लोग बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर को भगवान का अवतार बताकर माला फूल चढ़ाने का नाटक तो करते हैं किन्तु डॉ. अम्बेडकर की विद्वता, लोकप्रियता एवं जीवनन्ता जिसका दुनिया लोहा मानती है, उससे जलते हैं. इसीलिए संविधान के अनुच्छेद 1 अंतर्गत India का विरोध तो बहाना है, सही मायने में ये विरोध देश के करोड़ों-करोड़ों दलितों, आदिवासियों, पिछड़ो व वंचितों के मसीहा तथा भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर का विरोध है. RSS और BJP के इस ओछी सोच की मैं घोर निंदा करता हूं.”
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