Bharat Jodi Nyay Yatra: राहुल गांधी इन दिनों ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ निकाल रहे हैं. इस यात्रा की शुरुआत मणिपुर से हुई थी. वर्तमान में यह यात्रा असम पहुंची है. जिसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा के बीच सियासी बयानबाजी का दौर चल है. दरअसल, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड का चरण पूरा करने के बाद राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ असम पहुंची है. असम के गुवाहाटी में यात्रा के प्रवेश को अनुमति नहीं मिली है.
अनुमति ना मिलने के बाद कांग्रेस समर्थकों ने वहां पर लगी बैरिगेटिंग को तोड़ने का काम किया है. वहीं, असम के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिल रही है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि असम के सीएम भारत जोड़ो न्याय यात्रा में बाधा पैदा कर रहे हैं.
गुवाहाटी में यात्रा को नहीं मिली अनुमति
बता दें कि गुवाहाटी प्रशासन की ओर से कहा गया है कि वर्किंग डे होने की वजह से राहुल गांधी की यात्रा को शहर की मुख्य सड़कों से गुजरने की अनुमति देने से ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो सकती है. जिस वजह से यात्रा को मुख्य शहर से गुजरने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. प्रशासन का कहना है कि रैली को राष्ट्रीय राजमार्ग 27 से निकाली जा सकती है. आपको बता दें कि यह रास्ता निचले असम की ओर जाता है. जो शहर के चारों तरफ रिंग रोड की तरह काम करता है.
वहीं, बीते सोमवार को राहुल गांधी ने 15वीं सदी के समाज सुधारक वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान का दौरा करने की बात कही थी. इस दौरे को लेकर असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले वह इस स्थान का दौरा ना करें.
राहुल गांधी से अपील करते हुए हिमंत सरमा ने कहा था कि मैं राहुल गांधी से अपील करता हूं कि वे लोगों में इस धारणा को बढ़ावा न दें कि राम मंदिर और बताद्रवा सत्र के बीच कोई प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि टीवी चैनल एक तरफ राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह दिखा रहे होंगे तो दूसरी तरफ महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान का दौरा चल रहा होगा. ये असम के लिए अच्छा नहीं है. श्राइन की प्रबंध समिति ने भी कहा था कि राहुल गांधी को दोपहर 3 बजे से पहले प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.
राहुल ने किया पलटवार
असम के सीएम पर पलटवार करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि वह शंकरदेव की फिलॉसफी में विश्वास रखते हैं. हम, उनकी तरह, लोगों को एक साथ लाने और नफरत फैलाने में विश्वास नहीं करते. शंकरदेव हमारे लिए एक गुरु की तरह हैं और हमें दिशा देते हैं, इसलिए मैंने सोचा था कि जब मैं असम आया, तो उन्हें सम्मान देना चाहिए.
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