Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कोई कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो, किन्तु यदि अपनी बुद्धि का उपयोग वह दूसरों को गिराने के लिए करता है, तो शास्त्र की दृष्टि में वह मंदमति ही...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिसका दृष्टि पर अंकुश नहीं है उसका मन पर भी अंकुश नहीं है। व्यवहार पर अंकुश नहीं है। उसका अन्तःकरण मालिन हो जायेगा। जिसकी आंख बिगड़ती है, उसकी मन,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रभु को वंदन करने से, साष्टांग प्रणाम करने से, जीव के बंधन कटते हैं। सिर झुकाने का तात्पर्य है अपनी ज्ञानशक्ति, अपना बुद्धि विवेक, आपको समर्पित कर रहा हूं।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ईश्वर व्यापक है। व्यापक है इसलिए उनका कहीं अभाव नहीं है। जो व्यापक है उसे ढूंढने की जरूरत नहीं है। सर्वदा है।श्रीमद्भागवतमहापुराण में भगवान व्यास कहते हैं कि- हरेक...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रावण जिसको हम असुर कहते हैं, राक्षस कहते हैं, वह भी वैर करके अपना उद्धार करा लेता है। हम रावण जितने पापी नहीं है, हम असुर, राक्षस नहीं हैं।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीराम स्वयं भगवान हैं। मनुष्य रूप में अवतरित होते हुए भी वे दिव्यता और अलौकिकता से परिपूर्ण हैं। उनके जीवन की प्रत्येक घटना उनकी विशाल हृदयता और महान्...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रामायण के इस भंडार में बड़े-बड़े तपस्वी उपदेश प्राप्त करते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि समग्र मानवता का कल्याण हो सकता है तो इसी ग्रंथ में बताये...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कथा सत्संग में चरित्र निर्माण होता है। यहां खेती है विचारों की, इसलिए इसे ज्ञानयज्ञ कहते हैं। नया जीवन देती है यह श्रीरामकथा। सत्य और पुण्यकर्म का फल तो...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्म के नाम पर आज लड़ाई ज्यादा है। धर्म विज्ञान को नहीं समझा, इसलिए यह लड़ाई झगड़ा है। धर्म विज्ञानमय हो और विश्व के विज्ञान में धर्म हो। विज्ञान...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शास्त्र के विधान को जानकर कर्म करें। शास्त्र मर्यादा को छोड़कर जो मनमाना कर्म करता है उसे सिद्धि नहीं मिलती। इहलोक और परलोक में भी कोई सुख प्राप्त नहीं...