Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण वेद रूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है। जिसमें गुठली, छिलका जैसा कुछ त्याज्य नहीं है, केवल रस ही रस है। अतः भक्तों को यह रस जीवन भर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनु और शतरूपा ने जब अपनी पुत्री देवहूति का हाथ कर्दम ऋषि के हाथ में देने की इच्छा प्रकट की तो कर्दम ने कहा, मैं संसार और संसार के सुख...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कैकेयी ने जब राम से वन में जाने के लिए कहा तो प्रभु श्री राम ने केवल इतना ही कहा, " मां, तुमने तो मेरे मन की बात कही। मेरा...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव की अद्भुत बरात का वर्णन है, ऐसी बारात सृष्टि के इतिहास में कभी नहीं निकली. शिव बारात में समस्त देवता शामिल थे, दानव, मानव, भूत, पिशाच, शाकिनी,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, एक व्यक्ति किसी संत के पास गये,और बोले महाराज मुझे ऐसा मंत्र दीजिए, जिसके बल पर कोर्ट में मेरी जीत हो। संत ने पूछा, कौन सा केस है? वे बोले...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कामी, क्रोधी, लोभी, मोही, मदी, मत्सरी को भगवान की प्राप्ति हो सकती है ऐसा तो किसी धर्म ग्रंथ में नहीं लिखा है। किंतु भागवत तो कहता है कि यदि मनुष्य...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विवेक से थोड़ा सुख भी भोगो और भक्तिमय जीवन व्यतीत करके भगवान की प्राप्ति भी करो. तीन पग भूमि मांगने के लिए जाने वाले वामन भगवान को बलि के दरवाजे...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव-जीवन की उपयोगिता, उन्नति, सफलता और सार्थकता श्रीमद्भागवत में दिखाई गई है. अन्य ग्रन्थों में ईश्वर-दर्शन के लिए त्याग के बड़े-बड़े साधन दिखाए गए हैं, परंतु व्यास जी ने विचार...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ईश्वर की उपासना रिद्धि-सिद्धि के लिए नहीं, बल्कि हृदय की शुद्धि के लिए करो. अनेक पाप करके पुत्र के लिए लाखों की सम्पत्ति इकट्ठा करने वाले बाप का अंतकाल में...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति का प्रेम-बंधन- भक्तों की भगवद्मयता जब ऊंचे शिखर को छू लेती है, तब परमात्मतत्व उनकी इच्छा के अधीन बन जाता है. सच्चे भक्त भगवान को प्रेम-बंधन में इस प्रकार...