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प्रत्येक पुराण में मन्वंतर लीला का किया गया है निरूपण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, किसी भी पुस्तक को हम पुराण नहीं कह सकते हैं। उसके अंदर पुराण के लक्षण विद्यमान होना आवश्यक है। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में लिखा है- सर्गश्च प्रतिसर्गसश्च वंश मन्वन्त्राणि च। वंशानुचरितं चैव पूराणं...

धर्म की मर्यादा में चलकर समाज, राष्ट्र और विश्व की समस्त समस्याओं का हो सकता है समाधान: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्। जो कार्य अपने लिए अनुकूल न हो, वैसा व्यवहार दूसरों के साथ मत करो। धर्म की इस परिभाषा के भीतर, सारी मानवता आ गई। अगर हर...

भगवान का वांगमय स्वरूप है श्रीमद्भागवत महापुराण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण सत्य स्वरूप है। भगवान श्रीराधा-कृष्ण और भागवत महापुराण में रंच मात्र अंतर नहीं है। जो पुण्य फल भगवान के दर्शन, श्रवण, पूजन से प्राप्त होता है, वही पुण्य...

समस्त देवताओं का चलती फिरती मंदिर हैं गौ माता: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान आत्माराम है, आत्मा श्री राधा रानी है. भगवान आप्तकाम है. वांछित पदार्थ अर्थात् ईक्षित पदार्थ। भगवान का वांछित कार्य क्या है. भगवान किस लिए आये. गौर्भूत्वा- संग गो तनु...

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को माध्यम बनाकर जगत को दिया श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज के पाँच हजार वर्ष पहले मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की भूमि में दिया। इसीलिए इसे मोक्षदा एकादशी...

सत्संग से ही मनुष्य की प्रकृति में हो सकता है सुधार: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सम्पूर्ण प्रकृति में विकृति आ गई है, इसका सुधार सत्संग से ही हो सकता है. प्रकृति का दो अर्थ है- एक संसार की प्रकृति, जिसे माया भी कहते हैं...

शरीर और संसार का अभिमान अहंकार को करता है विकृत: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज संपूर्ण मानव जाति को सत्संग की महती आवश्यकता है. आज हम भौतिक रूप से समृद्ध और विकास की तरफ हैं. लेकिन, हमारा अंतःकरण घोर विकृति की तरफ है....

भगवान की आराधना उपासना में वस्तु से ज्यादा भाव का है महत्व: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्त सुदामा भगवान कृष्ण के मित्र थे, भगवान श्रीकृष्ण सुदामा जी के साथ उज्जैन संदीपनी मुनि के आश्रम पर विद्या अध्ययन किए थे। वहीं भगवान की सुदामा जी से...

दस पुत्र के समान होती है एक कन्या: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, राजा परीक्षित ने आचार्य श्रीशुकदेव जी से भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के विवाह से संबंधित प्रश्न किया. आचार्य श्रीशुकदेवजी ने कहा महाराष्ट्र में विदर्भ कुण्डिनपुर के राजा महाराज भीष्मक थे. महाराज...

तप से होती है इंद्रियों की शुद्धि: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कालेन स्नानशौचाभ्यां संस्कारैस्तपसेज्या। शुध्यन्ति दानैः सन्तुष्ट्या द्रव्याण्यात्माऽऽत्मविद्यया।। समय पाकर भूमि की शुद्धि होती है. यह आवश्यक नहीं कि जो भूमि अपवित्र है, वह सदैव अपवित्र रहेगी. जिस भूमि पर...
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