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रिद्धि-सिद्धि के लिए नहीं, बल्कि हृदय की शुद्धि के लिए करो ईश्वर की उपासना: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ईश्वर की उपासना रिद्धि-सिद्धि के लिए नहीं, बल्कि हृदय की शुद्धि के लिए करो. अनेक पाप करके पुत्र के लिए लाखों की सम्पत्ति इकट्ठा करने वाले बाप का अंतकाल में...

परमात्मा के स्मरण से ही मनुष्य का जीवन हो जाता है धन्य: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति का प्रेम-बंधन- भक्तों की भगवद्मयता जब ऊंचे शिखर को छू लेती है, तब परमात्मतत्व उनकी इच्छा के अधीन बन जाता है. सच्चे भक्त भगवान को प्रेम-बंधन में इस प्रकार...

शरीर को परोपकार एवं परमात्मा के काम में पूरी तरह से लगा देना ही है सच्चा पिंडदान: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रेम की पराकाष्ठा- प्रत्यक्ष दर्शन के विषय में गोपिकायें इतनी अधिक आगे बढ़ गई थी कि श्रीकृष्ण के ध्यान में वे स्वयं स्त्रियां हैं - यह भी भूल जाती थी।...

जिसका ज्ञान क्रियात्मक है, वही दे सकता है उपदेश: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  क्रियात्मक उपदेश- उपदेश देते समय उपदेशक को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि मैं जो बोलता हूं, वह क्या मेरे जीवन में पूरी तरह से उतर चुका है?...

आत्म स्वरूप में परमात्म स्वरुप का अनुभव ही है परोक्ष दर्शन की अंतिम पराकाष्ठा: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  परोक्ष दर्शन- रात्रि को बारह बजे मंदिर में जाने पर यदि ठाकुर जी शयन कर गए हों तो बिना दर्शन किए लौटना पड़ता है। परंतु यदि हम परोक्ष दर्शन की ...

जो दूसरों को सुखी करता है, वही हो सकता है सुखी: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, व्यवहार और भक्ति- सभी में एक ही परमात्मा निवास करते हैं, ऐसा समझ कर व्यवहार करने से वह व्यवहार भी भक्ति बन जाता है। व्यवहार और भक्ति को अलग-अलग मत...

श्रीमद्भागवत के श्रवण मात्र से समाप्त हो जाते हैं कल्प-कल्पांतर के पाप: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, परमात्मा आनंद के केंद्र है, सच्चिदानंद- भगवान् कृष्ण सत् - जो तीनों काल में सदा रहता है उसे सत कहते हैं। चित- जो चेतन होता है उसे चित् कहते हैं...

स्वयं के हाथों ही होगा अपना उद्धार: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन गाड़ी के चालक परमात्मा- रात को चलने वाली रेल में चाहे सभी यात्री सो जाएं, पर क्या रेल का ड्राइवर सो सकता है? मध्य रात्रि को तेजी से दौड़ती...

ईश्वर से अलग होने वाला उसी का अंश है जीव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ईश्वर का उपकार- श्रीमद्भागवत में पुरंजन की कथा आती है. पुरंजन का अविज्ञात नामक एक मित्र था. वह हमेशा उसकी गुप्त रूप से मदद करता था. यह पुरंजन अर्थात् जीवात्मा...

करुणा पूर्ण हृदय से किए गए स्मरण द्वारा ही प्रभु की होगी प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, स्मरण और सत्कर्म- दान, यज्ञ या कोई भी सत्कर्म करो, पर साथ-साथ प्रभु का नाम स्मरण भी करते रहो। स्मरण के बिना किया गया सत्कर्म अभिमान पैदा करेगा और की...
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