Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, इस संसार में भगवान श्रीराम की कथा से सुन्दर और दिव्य कथा वास्तव में कहीं भी नहीं है। आठों पहर मनुष्य जिस एक रूप, एक नाम में लीन रहता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत प्रसादी-दो हाथ- प्रभु ने दो हाथ सत्कर्म करने के लिए दिए हैं। जो हाथ परमात्मा की सेवा नहीं करते और परोपकार में संलग्न नहीं रहते, वे मुर्दे के...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हम स्वयं ही हैं अपने उद्धारक- सद्गति पुत्र से नहीं, स्वयं के सत्कर्मों से प्राप्त होती है। पुत्र होने पर ही सद्गति प्राप्त होती है- यह बात ठीक नहीं...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः जेब में से रुपये गिर जायें तो हमें खूब दुःख होता है, किन्तु यदि खोने से पूर्व ही उसका किसी दुःखी मनुष्य की आंखों के आंसू...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जो सुख को प्रभु की कृपा समझता है, वह साधारण वैष्णव है। किन्तु जो अति दुःख में भी प्रभु की कृपा का आस्वादन करता है, वही उत्तम वैष्णव है।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जगत विस्मृत हो जाए और मन प्रभु-स्मरण में जाए तो प्रभु के साथ प्रेम सम्बन्ध बँध जाता है। उपवास का अर्थ है प्रभु के उप-समीप, वास-निवास करने की प्रक्रिया।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्तजन प्रत्येक परिस्थिति को भगवान की कृपा मानते हैं। परिस्थितियां प्रारब्धजन्य हैं वह बदल नहीं सकती, लेकिन अपनी मनःस्थिति को बदलकर हम शान्त और सुखी हो सकते हैं। उदाहरण-
क्या प्रभु...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अपार संपत्ति का स्वामी बनते समय या अपार संपत्ति के पहाड़ों के नीचे दबते समय शुद्ध भावना से युक्त हृदयवाला भक्त तो प्रभु की कृपा का ही अनुभव करता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन और विवेक- किसी भी वाहन का संचालन भार यदि सुयोग्य ड्राइवर के हाथों सौंपा जायेगा तो ही वह वाहन निश्चित मंजिल पर पहुँच सकता है और सभी दुर्घटनाओं...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पाप से बचो-आजकल लोग ऐसा मानते हैं कि वे पाप करने से ही सुखी होंगे, किन्तु यह मान्यता कितनी झूठी है? प्रभु के दरबार में क्या इतना अन्याय और...