dharam karam

जीव ईश्वर के साथ जीव जैसा सम्बन्ध करता है स्थापित: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीव अतिशय नम्रता और भावनापूर्वक भक्ति करे तो भक्तवत्सल भगवान तो भक्त के ही बन जाते हैं। परंतु अधिकतर ईश्वर को पाने के बाद जीव गाफिल बन जाता है,...

वाणी का विषय नहीं है ईश्वर: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन में सत्कर्म एवं हरि भक्ति की प्रेरणा के लिए कथा श्रवण की जाती है. परिवर्तन लाने के लिए कथा सुनी जाती है. कथा सुनने के बाद यदि जीवन में...

अत्यन्त कर्मयोग प्रधान है देवताओं का जीवन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बेचारे पशु अज्ञानी हैं। जन्म के तीन साल बाद तो वह अपनी मां को भी भूल जाते हैं। फिर प्रभु को याद करके जीवन की सार्थकता कहां से प्राप्त कर...

कथा में संतों की प्रेरणादाई वाणी का पान करने से सुधरता है जीव का स्वभाव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीव का स्वभाव ठीक नहीं है। इसीलिए वह प्रकृति का गुलाम होकर घूमता है। जहां गुलामी है, वहीं परेशानी है। प्रकृति का गुलाम बना हुआ जीव खुद तो दुःख...

योगी यदि राज्य का कार्य भार देखेगा, तो उसकी साधना में आ जायेगी कमी: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीकृष्ण की कथा में श्रीशुकदेवजी जैसे महायोगी और राजा परीक्षित जैसे महाराजा को एक समान आनंद मिलता रहा। इसका कारण यह है कि- श्रीकृष्ण महायोगी भी हैं और महाराजा...

वृद्धावस्था के दौरान सात्विक जीवन व्यतीत करके भगवान की करनी चाहिए भक्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब जरासंध पीछे पड़ा तो श्रीकृष्ण प्रवर्षण पर्वत पर चले गये। इससे जरासन्ध उनका कुछ भी बिगाड़ न सका। जरासन्ध अर्थात् वृद्धावस्था। वृद्धावस्था पीछे पड़े तो आप भी सात्विक...

प्रभु सनमुख आए हुए जीव को, प्रभु-प्रेम से लगाते हैं गले: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कुछ मनुष्य घर की स्थिति अच्छी होने तथा अच्छे प्रमाण में पैन्शन मिलने पर भी दूसरी नौकरी ढूंढते हैं, यह अच्छी बात नहीं है। पैन्शन होने पर तो प्रभु...

मान-अपमान में मन को शांत रखना है सबसे महान पुण्यकार्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दो-चार दिनों के लिए यदि हमें अचानक बाहर गांव जाना पड़े तो भी मार्ग के कष्टों से बचने के लिए हम पहले से तैयारी कर लेते हैं। किंतु जीवन...

भागवत परायणता में बीतना चाहिए मनुष्य को अपने जीवन का एक-एक दिन: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनुष्य के मरने के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए घर के व्यक्ति भागवत सप्ताह का पारायण कराते हैं। घर के इन व्यक्तियों की भावना तो अच्छी है,...

धन की अपेक्षा श्रेष्ठ है धर्म: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अस्ति और प्राप्ति के पिता जरासंध का नाश काल ने किया जबकि कृष्ण को वह जरा भी आँच नहीं पहुंचा सका। संग्रह और परिग्रह की प्रवृत्ति में रचे-पचे रहकर...
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