Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चलो, फटे हुए आकाश को पैबन्द लगायें! आज चारों ओर बिखरी हुई वेदना को देखकर यह प्रश्न स्वतः मन में उपस्थित होता है कि ऐसी स्थिति में मानव कैसे...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अपने दोष ही देखो- जीव का स्वभाव भी कैसा विचित्र है? उसे स्वयं के जीवन को सुधारने का विचार तो आता नहीं और दूसरों को समझदारी देने को बैठ...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण तो भवरोग की उत्तम दवा है। भगवान श्रीराधाकृष्ण का चिंतन ही सबसे बड़ा योग है। संसार का चिंतन, विषयों का चिंतन, संसार की बुराइयों का चिंतन सबसे बड़ा...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निष्काम भक्ति ही भागवत शास्त्र का विषय है। भक्ति धन या सुख प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए करनी चाहिए। भक्ति का फल...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीशुकदेवजी का द्रवित हृदय- कथा श्रवण करते हुए हमारा-आपका हृदय द्रवित हो तो कथा की पक्की छाप लग जाती है और भक्त का मंगल होता है। हृदय द्रवित हुआ...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव का जब भाग्य उदय होता है, तब उसे संतों का सानिध्य प्राप्त होता है और संत अपनी कृपा से मानव के भाग्य पर छाये अंधकार को ज्ञान के...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानस सरोवर का कर्मघाट- श्री रामचरितमानस रूपी सरोवर का दूसरा घाट कर्म का है। इस संसार में कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें कर्म अत्यन्त प्रिय हैं। मनुष्य को अपने...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानस सरोवर का ज्ञानघाट- प्रथम घाट पर भगवान महादेव वक्ता हैं और भगवती पार्वती माता श्रोता हैं। यह पहला घाट ज्ञान का है। ज्ञानघाट पर भगवान महादेव जब श्रीरामचन्द्र...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानस सरोवर के चार घाट- वैष्णव कुलभूषण विश्ववन्द्य गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज ने श्रीरामकथा में चार दृष्टिकोण प्रतिपादित किये हैं। वे कहते हैं कि श्रीरामकथा मानस सरोवर है।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चारित्रेण च को युक्तः अर्थात् जिनका चरित्र सर्वदा संयमित है और मर्यादायुक्त है, उसके प्रति कोई अपवाद नहीं है। सर्वभूतेषु को हितः अर्थात् सबका कल्याण करने के लिए जो...