dharam karam

श्रवण भक्ति से भस्म हो जाते हैं पाप: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सांदीपन ऋषि के गुरुकुल में विद्यार्थी बहुत थे, किंतु श्री कृष्ण की मित्रता तो सुदामा के साथ ही रही. सुदामा अर्थात् सुयोग्य संयम. ऐसे सुदामा के साथ की गई मित्रता...

पसीने की कमाई ही परमात्मा को लगेगी प्यारी: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पसीने की कमाई ही परमात्मा को प्यारी लगेगी. भगवान श्री कृष्ण का सभी के प्रति अद्भुत सद्भाव था. अपने प्रति स्नेहभाव या सेवा भाव रखने वालों के प्रति उनका यह...

इंद्रियों के द्वारा मनमाना सुख भोगना है सुरुचि का मतलब: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निराधार के बानो सहायक, सदाचार के बानो विधायक। उत्तानपाद के दो रानियां थीं। सुरुचि राजा की प्रिया रानी थी, जबकि सुनीति उपेक्षित थी। एक दिन उत्तानपाद सुरुचि के पुत्र उत्तम को...

पूर्ण वैराग्य के होने पर ही ज्ञानमार्ग में मिलती है सफलता: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पूर्ण वैराग्य के होने पर ही ज्ञानमार्ग में सफलता मिलती है और पूर्ण सद्भाव होता है, तभी भक्तिमार्ग में सफलता प्राप्त होती है. ज्ञानी का अपना मन ही नहीं होता,...

जिसका जीवन दिव्य होता है, वही मृत्यु के पश्चात बनता है देवता: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।अनाशक्ति।। जिसका जीवन दिव्य होता है, वही मृत्यु के पश्चात् देवता बनता है। जो जिह्वा द्वारा अधिक पाप करता है, वह अगले जन्म में गूँगा होता है। हमेशा सत्कर्म करना...

Puskar/Rajasthan:  ज्ञानमार्ग और भक्तिमार्ग से मन की चालाकी को कर सकते है दूर: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन की धूर्तता का इलाज कैसे करें?अहंकार और ममता तो मानव को कुमार्ग पर ढकेलने की मन की चालाकी है। मन की इस चालाकी को दूर करने के दो मार्ग...

प्राचीन काल में निःस्वार्थ भाव से शिष्य को दी जाती थी शिक्षा: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्राचीन काल में तो शिष्य को निःस्वार्थ भाव से ही शिक्षा दी जाती थी. नदी एवं वृक्ष के समान गुरुकुल के आचार्य बिना किसी अपेक्षा के विद्यादान करते थे, साथ-ही-साथ...

अहंकार और ममता के कारण ही होता है सुख-दुःख का अनुभव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।मन की धूर्तता।। सुख और दुःख का अनुभव अहंकार और ममता के कारण ही होता है. बिल्ली घर में आकर यदि चूहे को पकड़ ले जाती है, तो मनुष्य को...

आत्मा के स्वरूप में स्थिर रहने वाले को ही होता है आनन्द का अनुभव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।व्यर्थ भटकन।। प्रेमपूर्ण प्रभु-स्मरण मानव को परमात्मा के निकट पहुंचता हैं. आनन्द प्राप्त करने के लिए बाहर के साधनों में भटकने वाला आनन्द के बदले दुःख ही प्राप्त करता है....

दूसरों को सुख पहुंचाने वाले व्यक्ति को सच्चे सुख की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सुख और दुःख एक दूसरे के प्रतिबिम्ब हैं. सुख की खोज में जाने वाले व्यक्ति के घर पर दुःख बिना बुलाए आता है और दूसरों को सुख पहुंचाने के लिए...
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